बरेली/मीरगंज। डबल इंजन की सरकारों में 119 मीरगंज विधानसभा क्षेत्र में तथाकथित ‘विकास’ गांववालों द्वारा नदियों पर लकड़ी के पटरे डालकर बनाए छह जुगाड़ू-खतरनाक पटरों के पुलों पर ही पिछले सात साल से हिचकोले पर हिचकोले और नदियों में गोते खा रहा है। 150 से ज्यादा गांवों की लाखों की आबादी खासकर छोटे काश्तकार, कारोबारी और औरतें-बच्चे पिछले कई दशक से पटरों के इन्हीं छह पुलों से होकर मीरगंज, मिलक, दुनका, शीशगढ़ और शेरगढ़ तक के रोजमर्रा के काम निपटाने को मजबूर हैं।
विधायक डाॅ.डीसी वर्मा 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से मीरगंज विधानसभा क्षेत्र में विकास की गंगा बहा देने और टूटी सड़क, पुलिया ढूंढने से भी नहीं मिलने के हवा-हवाई दावे तो पिछले सात साल से लगातार ही ठोंक रहे हैं लेकिन इन दावों के एकदम उलट जमीनी हकीकत तो यह है कि दर्जनों प्रमुख सड़कों को आप गहरे-बड़े गड्ढों में ढूंढते ही रह जाएंगे।
भाखड़ा नदी के नरखेड़ा घाट पर पक्के पुल का सपना तो भोले मतदाताओं को कई बार दिखाया गया लेकिन भद्दा-बदसूरत सच यही है कि वर्षों से रोजाना हजारों पैदल और बाइक सवार राहगीरों को जान जोखिम में डालकर लकड़ी के पटरों की एक-डेढ़ मीटर चौड़ी पट्टी से गुजरकर ही मीरगंज आना-जाना पड़ रहा है।

डोलते पटरों से नदी में गिर जाते हैं राहगीर
नरखेड़ा घाट पर पटरों की खतरनाक पट्टी की जगह पक्का पुल बनवाने के मुद्दे पर नरखेड़ा, पहाड़पुर और आसपास गांवों के सैकड़ों किसान मीरगंज तहसील में धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं। नरखेड़ा के मौजूदा प्रधान भी गांव और आसपास के लोगों के साथ इस मुद्दे पर मीरगंज में बड़ा धरना-प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। तकरीबन चार साल पहले भी इस मुद्दे पर नरखेड़ा और आसपास गांवों के कई दर्जन किसान तहसील पर धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। उस वक्त विधायक डाॅ. वर्मा ने लोगों के असंतोष को शांत करते हुए दावा किया था कि उन्होंने शासन में लगातार तगड़ी पैरवी कर नरखेड़ा में पक्के पुल निर्माण को हरी झंडी दिलवा दी है। एस्टीमेट को वित्तीय मंजूरी मिलते ही नरखेड़ा घाट पर पुल निर्माण कार्य शुरू करवा दिया जाएगा।
हालांकि तब से आज तक विधायक को अपना वायदा निभाते हुए पुल बनवाने की याद नहीं आई है। हजारों लोग अभी भी रोजाना पटरों की पट्टी पर होकर ही नदी पार करने को मजबूर हैं। हिलती-डुलती पट्टी पर अक्सर लोग शरीर का संतुलन नहीं साध पाते और मोटरसाइकिल समेत नदी की तेज धार में गिर जाते हैं। महिलाओं-बच्चों के तो पटरों की पट्टी से नदी में गिरने की घटनाएं आम बात है लेकिन ‘विकास पुरुष’ विधायक नरखेड़ा घाट पर पक्का पुल बनवाने का अपना वायदा आखिर कब तक पूरा करवा पाएंगे, कोई पता नहीं है?
चौधरी छत्रपाल पीडब्ल्यूडी मंत्री के समक्ष उठा चुके हैं यह मुद्दा
जिला सहकारी बैंक (डीसीबी) बरेली के पूर्व चेयरमैन और मीरगंज सहकारी गन्ना विकास समिति तथा मीरगंज की साधन सहकारी समितियों के सभापति रहे प्रगतिशील किसान, नरखेड़ा गांव के बाशिंदे और वयोवृद्ध किसान नेता चौधरी छत्रपाल सिंह बताते हैं कि दो माह पूर्व जब पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद रामपुर आए थे तो उन्हें ग्राम नरखेड़ा के पास भाखड़ा नदी के पुल के संबंध में प्रत्यावेदन दिया था।
प्रत्यावेदन में सांसद संतोष गंगवार, विधायक डाॅ. डीसी वर्मा और एमएलसी डॉक्टर हरि सिंह ढिल्लों, डाॅ. जयपाल सिंह व्यस्त एवं कुंवर महाराज सिंह के पत्रों के अतिरिक्त सहकारी गन्ना विकास समिति मीरगंज के पत्र भी संलग्न थे। पत्र देने वालों में नरखेड़ा के यशपाल सिंह, पुनीत त्रिवेदी एवं सुशील शर्मा भी शामिल रहे। बाद में इन सभी ने मंत्री जितिन प्रसाद से लखनऊ में उनके कार्यालय में भी संपर्क किया था।
नरखेड़ा में पक्का पुल बनने पर बचेगा 15 किमी का फेर
मीरगंज में सहकारिता आंदोलन के भीष्म पितामह और मीरगंज सहकारी गन्ना विकास समिति के संस्थापक सभापति रहे वरिष्ठ किसान नेता चौधरी छत्रपाल सिंह का दावा है कि नरखेड़ा में पक्का पुल बनने पर जहां शीशगढ़, शाही, शेरगढ़ के 50 से ज्यादा गांवों के बाशिंदों का कम से कम 15 किमी का फेर बच जाएगा।
तीन रेल फाटकों पर अंडरपास बनें तो मिलेगी जाम से मुक्ति
सहकारी गन्ना विकास समिति मीरगंज के मौजूदा सभापति शिवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मुकुल बाबू, पूर्व चेयरमैन नवल किशोर गंगवार और चौधरी छत्रपाल सिंह कहते हैं कि विधायक और सांसद मुख्यमंत्री की मार्फत रेल मंत्री पर दबाव बनाएं तो मीरगंज सिंधौली पुलिया, धनेटा और भिटौरा रेलवे फाटकों की जगह अंडरपास बनवाए जा सकते हैं।
तीनों क्रासिंगों पर अंडरपास बनने पर किसानों की गन्ना भरी ट्रैक्टर ट्रालियों की वजह से आएदिन घंटों लगने वाले भारी ट्रैफिक जाम और दुर्घटनाओं में मौतों को भी रोका जा सकेगा।
विधायक बोले, रेल मंत्री को भिजवाया है अनुरोधपत्र
विधायक कहते हैं कि तीनों क्रासिंग पर अंडरपास निर्माण संबंधी अनुरोध पत्र बरेली सांसद और सीएम के मार्फत रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भेजा जा चुका है। मंजूरी रेलवे को ही देनी है।
पांच गन्ना क्रय केंद्रों की उपयोगिता भी होगी खत्म
इसके अलावा मीरगंज में किसानों के गन्ने की ट्रैक्टर ट्रालियों की धामपुर शुगर मिल गेट तौल केंद्र तक सीधी आसान पहुंच हो जाने से परतापुर, खानपुर, नरेली, भिटौली नगला, मनकरी, अगरास, समेत कई गन्ना क्रय केंद्रों की जरूरत भी नहीं रह जाएगी।
पिपरिया पर पक्के पुल और रोड का भी इंतजार
विधायक डाॅ. वर्मा नरखेड़ा के साथ ही दिवना-पिपरिया के बीच बैगुल नदी पर भी पक्का पुल बनवाकर हुरहुरी-दिवना रोड को फतेहगंज पश्चिमी में ठिरिया खेतल के पास हाईवे तक पीडब्ल्यूडी रोड के जरिए जुड़वाने का वायदा भी अक्सर पब्लिक के बीच और शासकीय पत्र व्यवहार के मार्फत करते ही रहते हैं। अखबारों में दिवना-पिपरिया के बीच पुल और ठिरिया खेतल हाईवे तक पहुंच मार्ग निर्माण की खबरें विधायक डाॅ. वर्मा के नाम के साथ छप भी जाती हैं। लेकिन, यह बात दीगर है कि दिवना-पिपरिया पुल और पीडब्ल्यूडी रोड निर्माण का भी अभी तो सिर्फ इंतजार ही है। प्रोजेक्ट का दूर-दूर तक कोई अता-पता ही नहीं है।
गलतबयानी कर रहे विधायक: सुल्तान बेग
विधायक सिंधौली पुलिया, धनेटा और भिटौरा रेलवे फाटक पर अक्सर लगने वाले ट्रैफिक जाम की समस्या के स्थायी समाधान के लिए रेलवे और प्रदेश सरकार के सहयोग से तीनों जगह अंडरपास बनवाने का झुनझुना भी अक्सर बजाते रहते हैं। इस मुद्दे पर मीरगंज से लगातार तीन बार विधायक रहे वरिष्ठ सपा नेता सुल्तान बेग से बात की गई तो उन्होंने गलतबयानी के लिए विधायक डाॅ. वर्मा को ही आड़े हाथ ले लिया।
सुल्तान बेग की दलील है कि देश भर में रेलवे फाटकों पर अंडरपास बनवाना रेलवे की दीर्घकालीन कार्ययोजना का हिस्सा है। किसी एक विधायक के कहने पर क्षेत्र विशेष में रेलवे क्रासिंग पर अंडरपास बनवाने पर दूसरे इलाकों से भी ऐसी ही मांगें उठने लगेंगी। उन्होंने विधायक के इस दावे को भी जुमला और झूठ का पुलिंदा करार दिया है।
हमारे विकास कार्यों को अपना बता रहे डीसी वर्मा
मीरगंज विधानसभा क्षेत्र में 10 राजकीय हायर सेकेंडरी स्कूल बनवाने और छह चालू भी करवा देने के डाॅ. वर्मा के दावे पर पूर्व विधायक श्री बेग ने सवाल दागते हुए पूछा कि एक भी बनवाया हो तो नाम बताएं। हमने अपने कार्यकाल में बल्लिया, मवई काजियान, तुरसा पट्टी, शीशगढ़ में चार राजकीय हाईस्कूल कंप्लीट भी करवा दिए थे। बल्ली, तुरसा पट्टी समेत कई अन्य गांवों में भी राजकीय हाईस्कूलों को मंजूरी दिलाते हुए निर्माण शुरू कराया था। पिछले कई साल से तो नए राजकीय हाईस्कूलों की शासन से मंजूरी ही नहीं दी जा रही है।
झूलते पटरों वाले ये पांच पुल भी बढ़ा रहे परेशानी
नरखेड़ा के पास में ही भाखड़ा नदी के रेतीपुरा घाट के पटरों के पुल पर होकर भी बलेही पहाड़पुर और अन्य दर्जनों गांव के लोग आते-जाते हैं। ठिरिया कल्यानपुर में भी भाखड़ा नदी पर पटरों का पुल ही म्योड़ी बुजुर्ग-बकैनिया वीरपुर होते हुए मीरगंज तक आवाजाही का कई गांवों के बाशिंदों का इकलौता जरिया है। धर्मपुरा में तो बहगुल नदी पर पटरों के दो पुल हैं। एक पटरा पुल से लोग नगरिया कलां, शेरगढ़ तक आते-जाते हैं तो दूसरा पटरों का पुल धर्मपुरा की गौंटिया और वसई के बीच लोगों की आवाजाही का माध्यम है। भमोरा गांव में भी बहगुल नदी पर पटरों वाला एक पुल कई गांवों के यातायात का माध्यम है। हर साल बारिश के चार-पांच महीनों में पटरों के ये पुल हटाने और बरसात बाद बनाने भी पड़ते हैं।
सिंधौली पुलिया-थाना रोड पर भारी जलभराव, बदबू से जीना हुआ बेहाल
मुराद बेग एडवोकेट समेत मीरगंज कस्बे के कई जागरूक नागरिकों ने बताया कि सिंधौली पुलिया से थाना रोड तक नाले का निर्माण कार्य चलने की वजह से कई मोहल्लों के घरों से निकला गंदा पानी जगह-जगह भरा हुआ है। लोगों का पैदल निकलना तक दूभर हो गया है। मच्छरों की फौज गर्मी के मौसम में मीरगंज नगर में संक्रामक-जानलेवा मलेरिया के फैलाव का सबब बन सकती है। दरअसल, इस रोड के बगल में मीरखां बाबरनगर नई बस्ती में सभासद अफसन खां के घर के आसपास एक हैक्टेयर से भी ज्यादा रकबे में फैला तालाब है। तालाब में जमा गंदे-बदबूदार पानी-कीचड़ की नाकफोड़ू सड़ांध से नागरिकों का जीवन नारकीय हो गया है।
परौरा तक बड़ा नाला बने तो रुकेगा मीरगंज में जलभराव
पूर्व विधायक सुल्तान बेग बताते हैं नई बस्ती तालाब से परौरा गांव के पास के तालाब तक नाले का निर्माण हमने अपने कार्यकाल में शुरू करवाया था। वर्तमान विधायक इस नाले को भी नहीं बनवा पाए हैं। यह नाला बन जाए तो मीरगंज की सड़कों-गलियों में घरों से निकला पानी इकट्ठा नहीं हो पाएगा और जलभराव की वजह से टूट रही सड़कों की उम्र भी बढ़ जाएगी।
ई-बसें भी मीरगंज तक नहीं चला पाए
समाजवादी पार्टी के मीरगंज विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष सुरेश गंगवार बताते हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बरेली जिले को अरसा पहले 25 ई-बसों की सौगात दे चुके हैं। फतेहगंज, शाही, शेरगढ़ और शीशगढ़ तक तो ये बसें चल रही हैं लेकिन बार-बार लिखित अनुरोध के बाद भी भाजपा विधायक/सांसद बरेली-मीरगंज रूट पर ये ई-बसें नहीं चलवा पाए हैं जिससे यात्रियों को भारी मुश्किलें और धक्का-मुक्की झेलते हुए ज्यादा किराया खर्च कर ऑटो, मैक्स-मैजिक और रोडवेज बसों में सफर करना पड़ रहा है।
सरबत उल्लाह बोले-शाही रोड पर रोडवेज बस अड्डे का प्रस्ताव बेतुका
वरिष्ठ बसपा नेता, समाजसेवी और व्यवसायी सरबत उल्ला खां हाईवे को छोड़कर फतेहगंज पश्चिमी में शाही रोड पर सिंचाई विभाग की भूमि पर रोडवेज बस अड्डा निर्माण के विधायक डाॅ. वर्मा के प्रस्ताव को भी बेतुका और अनुपयोगी बताते हैं।
बोले-कई साल पहले रोडवेज अड्डे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था लेकिन अभी तक अटका ही हुआ है। यहां रोडवेज अड्डा बनने पर हाईवे के राधाकृष्ण मंदिर और मौर्य ढाबा तिराहों से दो नए रोड भी बनवाने पड़ेंगे।
जाने कहां अटकी है 165 गांवों की लाइफ लाइन
खमरिया पक्के बांध की फाइल पिछले आठ साल से हर वर्ष बैगुल नदी के खमरिया घाट पर जनसहयोग से कच्चा बांध बंधवाते रहे पूर्व विधायक जयदीप सिंह बरार का सबसे बड़ा सपना है अपने जीते-जी यहां पक्का बांध बनते देखना लेकिन 59 करोड़ रुपये के अनुमानित एस्टीमेट पांच-छह साल पहले ही सांसद-विधायक की संस्तुति सहित शासन को भेजा जा चुकने के बावजूद पता नहीं लखनऊ की कौन सी सरकारी अल्मारियों में पड़ा धूल फांक रहा है? वैसे हाल ही में साइट पर निरीक्षण करने आईं तेजतर्रार मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल और डीएम रविंद्र कुमार ने पक्का बांध बनवाने के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की हामी तो जरूर भरी है।
श्री बरार कहते हैं कि खमरिया पर पक्का बांध बन जाए तो बरेली जिले की मीरगंज-बहेड़ी तहसीलों के 75-75 और पड़ोसी रामपुर जिले की विलासपुर तहसील के भी कई दर्जन गांवों की 15 हजार हैक्टेयर से भी ज्यादा असिंचित भूमि को साल-दर-साल सिंचाई के लिए भरपूर पानी की गारंटी तो मिलेगी ही, इस पूरे इलाके का भूजल स्तर भी काफी बढ़ जाएगा। श्री बरार को अफसोस यह है कि इतने अहम प्रोजेक्ट को भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संबंधित विभागों के अफसरों की नकरात्मक सोच और गैर जिम्मेदाराना रवैए की वजह से मोदी-योगी की विकास के प्रति समर्पित सरकारों में अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
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