लोकतंत्र टुडे संवाददाता
Bareilly News: Power Corporation के अधिशासी अभियंता महावीर सिंह को लिफाफा देने वाले एक्सईएन सत्येंद्र चौहान का नाम उजागर होने पर इस मामले में लीपापोती की तैयारी शुरू हो गई है। एक्सईएन ने अपने आपको बचाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपने शुरू कर दिए हैं।
अधिशासी अभियंता महावीर सिंह पर दबाव बनाने की भी तैयारी है ताकि वह जांच टीम के सामने लिफाफा देने वाले का नाम न खोले। इसके एवज में उन्हें जल्द बहाल कराने और अच्छी जगह पोस्टिंग दिलाने का ऑफर दिया जा रहा है। वीडियो डिलीट कराने की कोशिश भी की जा रही है क्योंकि अगर बिना एडिट किया हुआ वीडियो जांच टीम के हाथ लग गया तो उनकी पहचान उजागर हो जाएगी।
जांच टीम में शामिल होकर साक्ष्य मिटाने की कोशिश
अधिशासी अभियंता सत्येंद्र चौहान उस जांच टीम का हिस्सा बन गए जो लिफाफा कांड की जांच कर रही थी लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि लिफाफा देने वाला कोई और वह ही थे। खुद जांच टीम में शामिल होकर साक्ष्य मिटाने और निष्पक्ष जांच को प्रभावित करने में लगे रहे। अब चूंकि सत्येंद्र चौहान का नाम उजागर हो गया तो अधिकारी उन्हें बचाने में लगे हैं। क्योंकि अगर सत्येंद्र चौहान पर कार्रवाई होती है तो उन्हें गुरुजी के कोप से कोई नहीं बचा पाएगा।
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बदायूं तैनाती के दौरान भी चर्चाओं में रहे हैं सत्येंद्र चौहान
अधिशासी अभियंता सत्येंद्र चौहान का विवादों से पुराना नाता रहा है लेकिन गुरुजी के कृपापात्र होने की वजह से वह हर बार बच जाते हैं और उनके खिलाफ आने वाली शिकायतों पर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। चाहे मामला राजस्व निर्धारण में गड़बड़ी हो या बिजली चोरी के मामलों में जमा होने वाले राजस्व की रसीदों में खेल करने का। ये सभी मामले मुख्य अभियंता के यहां कई महीनों से अटके हैं और जांच पूरी नहीं हुई है।
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इन मामलों में भी कार्रवाई से बचे हुए हैं सत्येंद्र चौहान
राजस्व निर्धारण संशोधन का मामला हो या बिजली चोरी के नोटिस पंद्रह दिन बाद भेजने का मामले लेकिन सत्येंद्र चौहान के खिलाफ कार्रवाई तो छोड़िए जांच तक नहीं हुई, जबकि इनमें अधिशासी अभियंता और बाबू का फंसना तय माना जा रहा था। सतेंद्र चौहान के यहां बिजली चोरी के मामले आरएमएस पोर्टल पर इसलिए नहीं चढ़ाए जाते हैं कि खेल करने में दिक्कत न हो। इस मामले में भी कोई जांच नहीं हुई।
सत्येंद्र चौहान का कंप्यूटर ऑपरेटर विभाग में दूसरे के नाम पर ठेकेदारी करता है। विभाग में उसकी गाड़ी ठेके पर चलती है। उसके खिलाफ शिकायतें आने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। अधीक्षण अभियंता ब्रह्मपाल भी उनके खिलाफ जांच को इधर-उधर घूमाते रहे लेकिन नतीजा कोई नहीं निकला। पावर कारपोरेशन के अभियंता मुख्यालय से आने वाली जांचों में झूठी आख्या लगाने में माहिर माने जाते हैं।
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यह है Power Corporation का लिफाफा कांड
बरेली में तैनात पावर कारपोरेशन के अधिशासी अभियंता महावीर सिंह (33 केवी वर्टिकल) का 14 मई को एक शख्स से पांच-पांच सौ की दो गड्ढी लेते वीडियो वायरल हुआ था। इसके अगले ही दिन उनकी महिला कंप्यूटर ऑपरेटरों के साथ व्हाट्सएप चैट वायरल हुई थी। इसके बाद मुख्य अभियंता ज्ञान प्रकाश ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी और एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा।
जांच के दौरान ही उनका एक और वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह एक व्यक्ति से लिफाफा लेकर फाइल पर साइन करते दिख रहे थे। जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए उन्हें पावर कारपोरेशन की एमडी रिया केजरीवाल ने 23 मई को निलंबित कर दिया है। उन्हें बरेली से हटाकर मुख्य अभियंता कार्यालय अयोध्या से संबद्ध कर दिया गया है।
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लोकतंत्र टुडे की पड़ताल में सामने आया नाम
लोकतंत्र टुडे ने वायरल वीडियो की गहराई से पड़ताल की तो एक्सईएन महावीर सिंह को लिफाफा देकर फाइल पर साइन कराने वाले अधिशासी अभियंता सत्येंद्र चौहान का नाम सामने आया। लिफाफा देने वाले के हाथ में पहने कड़े, अंगूठी और काली स्मार्ट वॉच समेत दो मोबाइल और फाइल के बारे में छानबीन की तो पता चला कि यह वर्टिकल कॉमर्शियल-2 के अधिशासी अभियंता सत्येंद्र चौहान हैं।
एक बड़े बिजली कनेक्शन के एवज में आया था लिफाफा
जो लिफाफा अधिशासी अभियंता सत्येंद्र चौहान ने एक्सईएन को दिया था वह सीबीगंज क्षेत्र में एक बड़े बिजली कनेक्शन का था, जोकि 33 केवीए लाइन पर हुआ था। कनेक्शन देने का पैसा एक एसडीओ ने लिया था, इसके बाद वह पैसा लिफाफे की शक्ल में सत्येंद्र चौहान से होते हुए एक्सईएन महावीर सिंह तक पहुंचा था।
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