Bareilly News : बरेली जिले के परसाखेड़ा में लाखों की बिजली चोरी पकड़े जाने के मामले को Power Corporation के अधिकारियों ने हजारों में निपटा दिया, इसके लिए सक्षम अधिकारी की अनुमति भी नहीं ली गई। जब लोकतंत्र टुडे ने घोटाला उजागर किया तो MVVNL मुख्यालय से जांच के आदेश दिए गए, इस पर अधिकारियों ने जांच को फुटबॉल बना दिया है। यही वजह है कि कई महीने बीतने के बाद भी इस मामले में जांच कमेटी गठित नहीं की गई है।
अधिशासी अभियंता द्वितीय सतेंद्र चौहान के डिविजन में 12 फरवरी को परसाखेड़ा इलाके के मथुरापुर में चार उपभोक्ताओं के यहां बिजली चोरी पकड़ी गई थी। इस मामले में पहले आरोपियों को अधिशासी अभियंता के हस्ताक्षर रहित लाखों रुपये के फर्जी नोटिस भेजे गए।
इसके बाद कर्मचारियों ने दलालों के जरिये सौदेबाजी की फिर कुछ रकम कम करके 23 फरवरी को नोटिस तैयार किए लेकिन इन्हें भेजा नहीं गया। सौदा पूरा होने के बाद 11 मार्च को नोटिस भेजे गए।
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नियमानुसार बिजली चोरी के मामले में तीन दिन के अंदर आरोपी को प्रोविजनल बिल दिया जाता है, इस पर प्रत्यावेदन देने के लिए उसे 15 दिन का समय दिया जाता है। अगर वह अपनी ओर से कोई आपत्ति दाखिल नहीं करता है तो 30 दिन बाद प्रोविजनल बिल को ही फाइनल मान लिया जाता है।
पूरी कार्रवाई को आरएमएस पोर्टल (RMS Portal) पर भी अपलोड करना होता है लेकिन इस मामले में अधिशासी अभियंता ने सारे नियम ताक पर रख दिए, इनमें एक consumer से 20 मार्च, दो से 4 अप्रैल और चौथे से 20 अगस्त को पैसा जमा कराया गया।
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Power Corporation Bill scam : जांच लटकाने के लिए दूसरे पाले में डाली गेंद
Power Corporation Bill scam खुलने पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने अधीक्षण अभियंता ब्रह्मपाल को जांच के आदेश देकर कमेटी गठित करने को कहा तो उन्होंने यह कहकर गेंद मुख्य अभियंता के पाले में डाल दी।
उन्होंने तर्क दिया कि अधिशासी अभियंता से जुड़ी जांच अधीक्षण अभियंता के निर्देशन में गठित कमेटी से कराई जाए ताकि रिपोर्ट निष्पक्ष आ सके मगर संयोग से कुछ समय बाद उनके पास ही मुख्य अभियंता का कार्यभार आ गया लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई महीने बीतने पर भी कमेटी गठित नहीं की।
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जब आरटीआई ने भौकाल नहीं करने दिया टाइट
अधीक्षण अभियंता ब्रह्मपाल ने बरेली में ज्वाइन किया तो अपना भौकाल टाइट करने के लिए अधीनस्थों को निपटाना शुरू किया, इसे लेकर उनकी कर्मचारियों से ठन गई। इसी बीच इंजीनियर संघ के नेता ने एक आरटीआई ऐसी लगा दी कि उनके तेवर ढीले पड़ गए और उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा।
दरअसल साहब अपनी ईमानदारी के कसीदे गढ़ते हुए संविदाकर्मियों, टीजीटू समेत जूनियर इंजीनियरों पर भौकाल टाइट करना चाहते थे लेकिन जूनियर इंजीनियर संघ के क्षेत्रीय अध्यक्ष आरके शर्मा ने आरटीआई में उनसे जुड़े ऐसे सवाल पूछ लिए कि आसमान से जमीन पर आ गिरे।
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ऐसे पहाड़ के नीचे आया ऊंट और तेवर पड़ें शांत
राजस्व निर्धारण संशोधन के मामले में अधिशासी अभियंता सतेंद्र चौहान फंसे तो उन्हें बचाने के लिए पूरा महकमा जुट गया। वहीं अधीक्षण अभियंता ब्रह्मपाल भी अधीनस्थों को निपटाने में लगे हुए थे। इसी बीच जूनियर इंजीनियर संघ के आरके शर्मा ने आरटीआई में ऐसे सवाल दाग दिए कि अधीक्षण अभियंता को अपनी कलम रोकनी पड़ी।
बताते हैं कि इस घोटाले के मास्टरमाइंड शहर के एक गुरुजी के कृपापात्र हैं। उनके यहां मुख्यालय के बड़े-बड़े अधिकारी भी मत्था टेकने आते हैं, ऐसे में अधीक्षण अभियंता सीधे पंगा लेकर खुद को मुसीबत में डालने के मूड में नहीं दिख रहे हैं।
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