" लोकतंत्र टुडे "

किसान गुस्से में: केसर चीनी मिल पर बहेड़ी (Baheri Kesar Mill) में गन्ना सप्लाई का बहिष्कार, सांसद ने मिल प्रबंधन को घेरा

Picture of Lok Tantra Today

Lok Tantra Today

FOLLOW US:

बरेली। बहेड़ी क्षेत्र के किसान अब और खामोश नहीं रहेंगे। केसर चीनी मिल (Baheri Kesar Mill) पर किसान भारी गुस्से में हैं। सहकारी गन्ना विकास समिति की वार्षिक बैठक में किसान नेताओं ने ऐतिहासिक निर्णय लिया और साफ-साफ कहा कि अब से केसर चीनी मिल को गन्ना सप्लाई नहीं किया जाएगा। सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार ने कहा, “मिल प्रबंधन किसानों के साथ लगातार धोखा कर रहा है। किसान अब अपनी आवाज बुलंद करेंगे।”

केसर चीनी मिल
केसर चीनी मिल गन्ना सप्लाई बहिष्कार

(Baheri Kesar Mill) 166 करोड़ रुपये बकाया भुगतान को लेकर किसानों का रोष चरम पर है। किसानों ने मिल प्रबंधन द्वारा दिए जा रहे झूठे वादों को अस्वीकार किया। बैठक में गन्ना प्रबंधक रविंद्र सिंह ने दावा किया कि अक्टूबर के मध्य तक भुगतान हो जाएगा, लेकिन किसानों ने इसे एक राजनीतिक चाल बताया।

यह भी पढ़ें:बरेली की नहर से निकला लोहे का शेर

किसान नेताओं ने मिल प्रबंधन का मंच पर जमकर बहिष्कार किया और हंगामा करने के बाद बैठक को अधर में छोड़ दिया। सांसद गंगवार ने यह भी कहा कि केसर चीनी मिल की मुड़िया मुकर्रमपुर की जमीन की नीलामी साजिशन कैबिनेट में डलवा दी गई थी ताकि मिल प्रबंधन को कोई रुकावट न मिले।

केसर चीनी मिल Baheri Kesar Mill भुगतान का मुद्दा:

  • बकाया राशि: ₹166 करोड़
  • प्रमुख निर्णय: केसर चीनी मिल के खरीद केंद्रों को मीरगंज, पीलीभीत, सितारगंज, फरीदपुर व बहादुरपुर की चीनी मिलों को स्थानांतरित किया जाएगा।
  • प्रबंधन का दावा: अक्टूबर मध्य तक ₹100 करोड़ का भुगतान होगा।
  • किसानों का रुख: झूठे वादे पर भरोसा नहीं। बहिष्कार का ऐलान।

केसर चीनी मिल घाटे में कैसे सांसद छत्रपाल सिंह गंगवार:

“जब दूसरी चीनी मिलें मुनाफा कमा रही हैं, तब (Baheri Kesar Mill) केसर चीनी मिल घाटे में कैसे जा रही है? यह साफ संकेत है कि नीयत सही नहीं।”
साथ ही उन्होंने यह भी खुलासा किया कि मुड़िया मुकर्रमपुर की जमीन की नीलामी कैबिनेट में पहले से डलवा दी गई थी ताकि मिल प्रबंधन को कोई रोड़ा न बन सके।

गन्ना समिति सचिव और विभागीय अधिकारियों पर भी वार

डेलीगेट सरदार सतनाम सिंह ने जमकर हमला बोला और कहा, “छह साल से यही बैठे हो, कुछ काम क्यों नहीं किया?” वहीं सरदार तरसेम सिंह ने सीधे-सीधे कहा कि गन्ना विभाग के अधिकारी किसानों का शोषण करने में लगे हैं। पूर्व अध्यक्ष केंद्र पाल सिंह ने बैठक का एजेंडा मात्र तीन दिन पहले भेजे जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “15 दिन पहले देना जरूरी था। यह साजिश है।”

यह भी पढ़ें;- 31 साल से चल रहा बाबूशाही का साम्राज्य, शासनादेश भी बेअसर!

किसानों का गुस्सा, केसर मिल प्रबंधन का बेबसी

“हमारा पैसा हमारे साथ धोखा करके केसर मिल प्रबंधन ने खा लिया!”—ऐसे नारों ने पूरे हालात को बयां किया। किसानों का कहना है कि अब कोई समझौता नहीं चलेगा। गन्ना समिति बोर्ड ने भी एक स्वर में फैसला लिया—केसर चीनी मिल के खरीद केंद्रों को मीरगंज, पीलीभीत, सितारगंज, फरीदपुर, बहादुरपुर की चीनी मिलों को स्थानांतरित किया जाए।

Leave a Comment

और पढ़ें