बरेली। बिजली विभाग चतुर्थ डिवीजन अपने कारनामों को लेकर लगातार सुर्खियों में है। चाहें मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में कम लोड का कनेक्शन देने का मामला हो या फिर नॉन इलेक्ट्रीफाइड कालोनी में मनमुताबिक कनेक्शन देने का। दोनों ही मामलों में जांच होने में विभागीय इंजीनियर कार्रवाई की जद में आ सकते हैं।
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सुपर सिटी के सामने आनन्दम होम्स मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में 80 फ्लैट बने हैं। विभाग के इंजीनियरों ने नियम के विपरीत जाकर यहां 50 किलोवाट का कनेक्शन दे दिया। जबकि किसी भी आवासीय या व्यावसायिक कार्यालय या कॉलोनी का विद्युत लोड उसके स्वीकृत मानचित्र के हिसाब से तय किया जाता है। जिसमें उसका एरिया देखकर ही लोड कैलकुलेट किया जाता है। 80 फ्लैट में अगर कोई रह रहा है या नहीं लेकिन लोड कैलकुलेशन नक्शा देखकर ही किया जाना चाहिए। लेकिन आनन्दम होम्स मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में नियम कानून को हवा में उड़ाकर कम किलोवाट का कनेक्शन जारी कर दिया।
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इंजीनियरों के इस कदम से सरकार को जहां लाखों रूपये का नुकसान उठाना पड़ा वहीं बिल्डर और इंजीनियर मालामाल हो गये। अगर इस मामले की सही से जांच हो तो कई इंजीनियरों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। जानकारों का कहना है कि बिल्डर ने कम लोड दिखाकर कनेक्शन लिया है। मामला यहीं नही रूकता आनन्दम होम्स मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में 80 फ्लैट, लिफ्ट, स्ट्रीट लाइट आदि का लोड है। इसके बाद भी बिजली का लोड 41 किलोवाट का आना संदेह पैदा करने के लिए काफी है। जहां औसतन एक घर का लोड 2 किलोवाट के करीब आता है वहीं आनन्दम होम्स में आधा किलोवाट से भी कम प्रति फ्लैट लोड आ रहा है। जानकार बताते है कि 80 फ्लैट पर 250 किलोवाट से अधिक का कनेक्शन होना चाहिए।
नॉन इलक्ट्रीफाइड कालोनी में बांट दिए कनेक्शन
दूसरी तरफ ओम साईं एनक्लेव नॉन इलेक्ट्रीफाइड कॉलोनी है। ऐसे में उसमें दिए गए कनेक्शन यह बताने के लिए पर्याप्त हैं की बिजली विभाग में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नॉन इलेक्ट्रीफाइड कॉलोनी में किस आधार पर कनेक्शन दिए गए, कैसे लोड निकाला गया यह बड़ा प्रश्न है। नियमों के मुताबिक नॉन इलेक्ट्रीफाइड कॉलोनी में बिजली कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। ऐसे में कई दर्जन घरों में नियम कानूनों को ताक पर रखकर कनेक्शन दे दिए गए। इस मामले में मुख्य अभियंता रणविजय सिंह ने बताया कि इस मामले की जांच कराई जाएगी, बिजली विभाग में किसी दलाल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।