Tuesday, June 3, 2025

Hindu Temples In Bareilly: बरेली के प्रमुख शिव मंदिर और उनका इतिहास

बरेली के प्रमुख धार्मिक स्थल, जहाँ दर्शन करने से पूरी होती है मनोकामना

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Bareilly News: महादेव की नगरी बरेली अपने पुराने ऐतिहासिक मंदिरों की वजह से न सिर्फ उत्तरप्रदेश बल्कि देश में भी प्रख्यात है। देश और प्रदेश की राजधानियों के बीच रामगंगा नदी किनारे बसा बरेली मंदिरों के शहर के नाम से जाना जाता है। बरेली की सभी दिशाओं में भगवान भोलेनाथ (Hindu Temples In Bareilly) के अति प्राचीन शिव मंदिर, बाबा अलखनाथ, वनखंडी नाथ, त्रिवटी नाथ, तपेश्वर नाथ, मढ़ीनाथ और धोपेश्वर नाथ, श्री पशुपति नाथ मंदिर यहां की सुरक्षा चौकियां मानी जाती हैं।

अलखनाथ मंदिर

किला क्षेत्र स्थित अलखनाथ मंदिर (Alakhnath Temple) ऐतिहासिक और प्राचीन नागाओं का मंदिर है। मान्यता कि बाबा अलखनाथ मंदिर में आने वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि करीब 500 वर्ष पहले मुगलों के जमाने में एक बाबा आलखिया नाम यहां आए और एक बरगद के पेड़ के नाचे बैठ कर उन्होंने तपस्या की। जिसके बाद महादेव ने उन्हें वरदान दिया कि उनके नाम के आगे महादेव का नाम लगेगा। जिसके बाद से उनका नाम अलखनाथ पढ़ गया। अलखनाथ मंदिर को आनंद अखाड़ा संचालित करता है। यह मंदिर नागा साधुओं की भक्तिस्थली भी है।

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मंदिर के मुख्यद्वार के ठीक बराबर में 51 फिट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति लगी है। मान्यता है कि जब पाण्डव अज्ञातवास के लिए आए तो वे यहीं रुके थे। यहां भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग एक बरगद के पेड़ के नीचे है जिसे वर्षों से भक्त पूजते आ रहे हैं। यहां शनिदेव, पंचमुखी हनुमान मंदिर, नवग्रह मंदिर भी स्थापित है।ं जो भी भक्त यहां सच्ची श्रद्धा से अपनी अर्जी लगता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती है।

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मंदिर के दूसरे प्रवेश द्वार पर पानी में उतराने वाला पत्थर रखा था जो अब गायब हो गया है। स्वर्गीय देव गिरी महाराज रामेश्वरम से पानी में उतराने वाले पत्थर को लेकर आए थे। इस पत्थर की महिमा सुनकर दूसरे जिलों से भी श्रद्धालु मंदिर में पहुंचकर पत्थर के दर्शन करते थे।

तपेश्वर नाथ मंदिर

सुभाषनगर में बना तपेश्वर नाथ मंदिर ( Tapeshwar Nath Temple ) शहर की दक्षिण दिशा में स्थित है। सुभाषनगर रेलवे पुलिया होते हुए यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। तपेश्वर नाथ मंदिर साधु संतो की तपस्थली माना जाता है। मंदिर का पौराणिक इतिहास करीब 5000 वर्ष पुराना बताया जात है।

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बताते है कि पूर्व में यहां एक वन हुआ करता था। इसमें एक बाबा ने 400 वर्ष तक कठोर तप किया। उनके शरीर पर भालू के सामान बाल होने के कारण उन्हें भालूदास बाबा पुकारा जाने लगा। हिमालय से लौटते समय धु्रम महर्षि के एक शिष्य ने भी यहां सैंकड़ो वर्ष तक तप किया और संतो की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां विराजमान हुए और इस मंदिर का नाम तपेश्वर नाथ मंदिर पड़ा। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मनोकामना मांगने पर पूरी होती है।

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धोपेश्वर नाथ मंदिर

कैंट में स्थित धोपेश्वर नाथ मंदिर ( Dhopeshwar Nath Temple ) पूर्व दक्षिण अग्निकोण में स्थापित है। इस मंदिर को महाराजा द्रुपद के गुरु एवं अत्री ऋषि के शिष्य धु्रम ऋषि ने कठोर तप से सिद्ध किया। उन्हीं के नाम पर देवालय का नाम धूमेश्वर नाथ पडा जोकि बाद में धोपेश्ववर नाथ के नाम से जाना जाने लगा। यहां वीआइ बाजार कैंट होते हुए आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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धोपेश्वर नाथ मंदिर का विशेष महत्व है। यहां सच्चे मन से मनोकामना मांगने पर पूरी होती है। भक्त बाबा के दर्शन करने के बाद यहां की वैष्णो देवी गुफा में दर्शन करते है। मान्यता है कि यहां बने तालाब में नहाने से चर्म रोग दूर होते है। श्रावण मास के अलावा भी यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

त्रिवटीनाथ मंदिर

बरेली के प्रेम नगर क्षेत्र में स्थित त्रिवटी नाथ मंदिर ( Trivati nath Temple ) लगभग 600 वर्ष पुराना है। बताया जाता है कि लगभग 600 साल पहले जब यहां हर तरफ घना जंगल हुआ करता था और दूर-दूर तक सिर्फ जंगल ही जंगल दिखाई देता था. उसी दौर में एक चरवाहा तीन वट वृक्षों के नीचे सो रहा था और उसे सपने में भगवान शिव ने आकर कहा कि तुम जहां सो रहे हो, वहां मेरा एक शिवलिंग है। इसके बाद जैसे ही चरवाहा की आंख खुली तो सामने उसे एक भोलेनाथ की शिवलिंग दिखाई दी। वह उठा और शिवलिंग की पूजा की, तब से यहां हर वक्त भक्तों का आना-जाना लगा रहता है।

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भोले बाबा के इस मंदिर में कई और देवी-देवताओं की भी मूर्तियां भी हैं। मंदिर के गेट पर 43 फीट ऊंची भोले बाबा की है मूर्ति है। माना जाता है कि इस प्राचीन त्रिवटी नाथ मंदिर में जो भी भक्त सच्चे दिल से पूजा पाठ कर मन्नत मांगते हैं, उनकी हर मन्नत पूरी होती है।

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मढ़ीनाथ मंदिर

शहर के पश्चिम दिशा में स्थित मढ़ीनाथ मंदिर ( Madhi nath Temple ) पांचाल नगरी में है। कहा जाता है कि यहां पर एक बाबा रहते थे जिनके पास मणिधारी सर्प था। इसी सर्प के नाम पर इस मंदिर का नाम मढ़ीनाथ मंदिर पड़ा। जिस इलाके में ये मंदिर स्थित है। उस इलाके को मणिनाथ मोहल्ले के नाम से जाना जाता है।

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बताया जाता है कि एक तपस्वी ने राहगीरों की प्यास बुझाने के लिए यहां कुआं खोदना शुरू किया था। तभी शिवलिंग प्रकट हुआ। ऐसा शिवलिंग जिस पर मढ़ीधारी सर्प लिपटा था। जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई और इसका नाम रखा गया मढ़ीनाथ मंदिर रखा गया। मान्यता है कि मंदिर में दर्शन के साथ सच्चे मन में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।

बाबा बनखंडी नाथ मंदिर

जोगी नवादा स्थित बाबा बनखंडी नाथ मंदिर ( Baba Bankhandi Nath Temple ) की स्थापना राजा द्रुपद की पुत्री व पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने की थी। भोले बाबा का शिवलिंग बनाकर यहीं पूजा अर्चना करती थीं। द्वापर युग में मंदिर को मुस्लिम शासकों ने, कई बार आलमगीर औरंगजेब के सिपाहियों ने सैकड़ों हाथियों से शिवलिंग को जंजीरों से बांध कर नष्ट कराने की कोशिश की, परंतु शिवलिंग अपनी जगह से हिला तक नहीं और सारे हाथी मारे गए।

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बताया जाता है कि यह इलाका उस समय बनखंड क्षेत्र था, जिसके कारण यह मंदिर बनखंडी नाथ जी के नाम से कहलाया।

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श्री पशुपति नाथ मंदिर

पीलीभीत बाई पास स्थित श्री पशुपति नाथ मंदिर ( Shri Pashupatinath Temple ) यूं तो ज्यादा पुराना नहीं है, मगर यहां के प्रसिद्ध नाथ मंदिरों में गिना जाता है। यह मंदिर नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर की तर्ज पर बनवाया गया है।

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इस मंदिर का निर्माण समाजसेवक जगमोहन सिंह ने करवाया था। इस मंदिर की अपनी एक अलग सुंदरता है। परिसर के बीचो-बीच एक तालाब के मध्य पशुपति नाथ जी स्थापित हैं। यहां बड़े शिवलिंग के साथ ही छोटे छोटे 108 शिवलिंग हैं। शिवरात्रि और सावन में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आते हैं।

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