गंजडुंडवारा (कासगंज)। अलीगढ़ अस्पताल में प्रसव के बाद हुई प्रियंका की मौत के मामले में 14 दिन बाद कासगंज पुलिस ने डॉ. दीक्षा और अस्पताल स्टाफ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। जांच में प्रथम दृष्टया डॉक्टर और स्टाफ को प्रियंका की मौत का जिम्मेदार माना गया है।
कासगंज के सिकंदरपुर वैश्य कोतवाली क्षेत्र में रहने वाले विकास की करीब 22 वर्षीय पत्नी प्रियंका को प्रसव पीड़ी होने पर 13 जून को गंजडुंडवारा कस्बे के सहावर रोड स्थित अलीगढ़ हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। शाम को प्रियंका ने बच्ची को जन्म दिया था। जिस हालत गंभीर होने पर सीएचसी ले जाया गया था। वहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में बच्ची ने भी दम तोड़ दिया।
पति विकास के मुताबिक अगले दिन अस्पताल स्टाफ ने परिजनों और प्रियंका के मना करने के बावजूद उसे ब्लड चढ़ा दिया, इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। तबीयत बिगड़ता देख आननफानन उसे अलीगढ़ रेफर कर दिया। जब वे प्रियंका को लेकर अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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परिजन का आरोप- गलत ब्लड चढ़ाने से हुई प्रियंका की मौत
परिजन का आरोप है कि गलत खून चढ़ाने से प्रियंका की हालत बिगड़ी थी, जबकि वह इससे पहले बिलकुल स्वस्थ थी। जब डॉक्टर ने प्रियंका से ब्लड चढ़ाने की बात कही थी तो उसने भी मना किया था। वह बोली थी कि वह खाने पीने से ठीक हो जाएगी उसे ब्लड चढ़ाने की जरूरत नहीं है लेकिन स्टाफ ने न तो प्रियंका की मानी न ही परिजन की कोई बात सुनी। स्टाफ प्रियंका को जबरन अलग एक कमरे में ले गया और ब्लड चढ़ा दिया। ब्लड चढ़ने पर उसकी हालत बिगड़ गई।
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परिजन के हंगामें पर सीएमओ ने सील कराया अलीगढ़ अस्पताल
प्रियंका की मौत के बाद परिजन ने डॉक्टर और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था। सूचना पर सीओ संतोष कुमार और एसडीएम प्रदीप विमल ने कार्रवाई का आश्वासन देकर परिजन को शांत कराया था। इसके बाद सीएमओ के निर्देश पर पहुंची टीम ने अस्पताल सील कर दिया था।

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स्टाफ ने एंबुलेंस में शव रखकर अलीगढ़ कर दिया था रेफर
परिजन के मुताबिक अलीगढ़ अस्पताल में ही प्रियंका की मौत हो चुकी थी लेकिन स्टाफ ने उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी, बल्कि शव एंबुलेंस में रखकर उन्हें जल्दी अलीगढ़ ले जाने को कहा। जब वे अलीगढ़ पहुंचे तो डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।
अवैध रूप से हो रहा था अलीगढ़ अस्पताल का संचालन
मामले में सीएमओ डॉ. राजीव अग्रवाल ने टीम गठित कर जांच कराई तो पता चला कि अस्पताल का संचालन अवैध रूप से हो रहा था। अस्पताल में अवैध रूप से ओटी और मेडिकल स्टोर चल रहा था। आईडीपी और ओपीडी रजिस्ट्रेशन भी समाप्त पाए गए। कई अन्य खामियां भी जांच में सामने आईं। इसके बाद एसडीएम पटियाली और सीएचसी अधीक्षक डॉ. आकाश के नेतृत्व में टीम ने अस्पताल सील कर दिया।

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मामला तुल पकड़ा तो सेटल करने की कोशिश हुई फेल
बताते हैं कि पुलिस प्रशासन इस मामले को दबाने की पुरजोर कोशिश में लगा था। प्रियंका के परिजन को भी समझौते का प्रस्ताव दिया गया लेकिन वे राजी नहीं हुए, इसके साथ ही मामला लगातार मीडिया में तुल पकड़ने और मुख्यमंत्री से शिकायत होने पर 14 दिन बाद पुलिस को अलीगढ़ अस्पताल की डॉक्टर दीक्षा और स्टाफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज करनी पड़ी।

स्वास्थ्य विभाग पुलिस तो पुलिस स्वास्थ्य विभाग पर टाल रही थी कार्रवाई
घटना के बाद प्रियंका के पति विकास की ओर से गंजडुंडवारा कोतवाली में तहरीर दी थी लेकिन पुलिस ने उस पर रिपोर्ट दर्ज नहीं की। विकास लगातार कोतवाली पुलिस और अफसरों के चक्कर लगा रहे थे लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी जा रही थी। पुलिस सीएमओ की रिपोर्ट न मिलने की बात कहकर मामला टाल रही थी तो वहीं सीएमओ डॉ. राजीव अग्रवाल का कहना था कि वह जांच रिपोर्ट एसडीएम, सीओ पटियाली और एसओ गंजडुंडवारा को भेज चुके हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में भी नहीं दी जानकारी
प्रियंका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी कई दिन पहले आ चुकी थी लेकिन पोस्टमार्टम में मौत का कारण क्या आया इसकी जानकारी पुलिस ने परिजनों को नहीं दी। महिला आयोग की सदस्य रैनू गौड ने भी पीड़ित परिवार की मदद करने के लिए पैरवी की। मृतका के पति विकास ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। दबाव बढ़ने के बाद पुलिस ने मृतका के पति की तहरीर पर जबरन खून चढ़ाने से मृत्यु और अन्य गंभीर धाराओं में डॉक्टर दीक्षा और अन्य स्टाफ के खिलाफ बीएनएस की धारा 109 के तहत एफआईआर दर्ज की।