Bareilly News: Faridpur & Bilpur Railway Overbridge का निर्माण कराने वाले ठेकेदार के रसूख के आगे सेतु निगम के ज्यादातर अधिकारी बेबस हैं। निर्माण कार्य में ठेकेदार जमकर मनमानी कर रहा है लेकिन कोई उसे रोक नहीं पा रहा है। अधिकारियों की बेबसी का सबसे बड़ा कारण है कि फर्म में विभाग के कुछ बड़े अधिकारियों की हिस्सेदारी है और उनका पैसा इसमें लगा है। साथ ही वे फर्म में साइलेंट पार्टनर हैं। इकाई के अफसर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई बार उच्च अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं लेकिन अब तक उस पर कार्रवाई नहीं हुई है।
बरेली के Faridpur & Bilpur Railway Overbridge निर्माण का ठेका सेतु निगम ने अनिल एसोसिएट नामक फर्म को दिया है। दोनों जगह ठेकेदार ओवरब्रिज निर्माण में जमकर मनमानी कर रही है। ओवरब्रिज बनाने के साथ ही बिजली लाइन शिफ्टिंग का काम भी इसी फर्म को मिला है।

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बताते हैं कि अनिल एसोसिएट के पास बिजली का काम करने का कोई पूर्व अनुभव नहीं है लेकिन सेतु निगम के बड़े अधिकारियों की दयादृष्टी से उसे लाइन शिफ्टिंग का काम भी मिल गया। यह लखनऊ में बैठे सेतु निगम के कुछ बड़े अधिकारियों की कृपा से मुमकिन हो पाया क्योंकि वे इस फर्म में साइलेंट पार्टनर हैं।
सुपरविजन चार्ज दिया मगर प्री-पोस्ट इंस्पेक्शन पर उठे सवाल
बिजली की लाइन शिफ्ट करने के लिए पावर कारपोरेशन में 15 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज जमा किया जाता है ताकि पावर कारपोरेशन के इंजीनियर कार्य की गुणवत्ता चेक कर सकें। इसके साथ ही कार्य में इस्तेमाल होने वाली सामग्री का वह प्री इंस्पेक्शन करते हैं। इंजीनियरों के संतुष्ट होने पर ही पावर कारपोरेशन में पंजीकृज डीलर से ही वह सामग्री खरीदी जाती है।
सामग्री साइट पर पहुंचने के बाद इंजीनियर पोस्ट इंस्पेक्शन करते हैं कि साइट पर आई सामग्री वही है, जिसे उन्होंने मंजूरी दी थी, लेकिन अनिल एसोसिएट ने फतेहगंज पूर्वी में लाइन शिफ्ट करने से पहले न तो प्री इंस्पेक्शन कराया न ही पोस्ट और लाइन शिफ्ट कर दी। न ही फर्म के पास विद्युत सुरक्षा के वैद्य दस्तावेज हैं। इतना ही नहीं सेतु निगम के अधिकारियों ने पावर कारपोरेशन के इंजीनियरों से काम की मात्रा और गुणवत्ता चेक कराए बिना ठेकेदार का भुगतान भी कर दिया।
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लाइन शिफ्टिंग में पुराने खंभे लगाकर किया रंगरोगन
लाइन शिफ्टिंग में ठेकेदार ने पुराने खंभों का इस्तेमाल किया, इन खंभों पर एमवीवीएनएल लिखा था, इनमें ज्यादातर खंभे मानकों के विपरित हैं। ये खंभे पुराने तो हैं ही, साथ ही वजन में हल्के और कम लंबाई वाले हैं। फर्म ने लाइन हैंडओवर करने से पहले इन खंभों का रंगरोगन करा दिया ताकि वे नए जैसे दिखें।
Faridpur & Bilpur Railway Overbridge निर्माण कार्य में सरकारी सामान का हो रहा उपयोग
Faridpur & Bilpur Railway Overbridge निर्माण में ठेकेदार दोनों साइट पर शटरिंग से लेकर जेनरेटर तक सेतु निगम का इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि इसमें कुछ गलत नहीं है, जरूरत पड़ने पर सभी ठेकेदार सेतु निगम से ये सामान किराये पर लेते हैं लेकिन यहां मामला कुछ अलग है।
यहां ठेकेदार ज्यादातर सामान सेतु निगम का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन किराया नाममात्र का लिया जा रहा है। इसके अलावा सेतु निगम के ठेकेदार किराये पर लिए गए सामान को भी हजम कर जाते हैं। इसके पीछे बहाना यह होता है कि शटरिंग पानी में बह गई।
इसके एवज में वह सेतु निगम को कोई भुगतान भी नहीं करते हैं क्योंकि कागजों में उनको किराये पर दिया सामान कम होता है और साइट पर इसकी मात्रा कई गुना ज्यादा।
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शिवभक्तों के पैरों में भी चुभाए कंकड़
बनवा रहे ठेकेदार के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले साल कांवड़ यात्रा के दौरान हर तरफ से फतेहगंज पूर्वी में कांवड़ियों की सहूलियत के लिए ठेकेदार पर बिलपुर क्रॉसिंग पर सर्विस लेन बनाने का दबाव पड़ रहा था।
सेतु निगम के अधिकारी भी अपने वरिष्ठों को चिट्ठी-पत्री लिखते रहे लेकिन ठेकेदार ने एक की भी नहीं सुनी और कांवड़िये उसी ऊबड़-खाबड़ रास्ते से होकर गुजरे।
ठेकेदार काे दंभ इस बात का है कि उसकी फर्म में सेतु निगम के कुछ बड़े इंजीनियर हिस्सेदार हैं, इनमें एक रिटायर हो चुके हैं, उनके रिश्तेदार मुख्यालय में महत्वपूर्ण सीट पर काबिज हैं इसलिए उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
काम शुरू करने से पहले सर्विस लेन बनाने का नियम पर बनाते नहीं
निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सर्विस लेन बनाने का नियम है लेकिन ठेकेदार काम के अंत में सर्विस लेन बनाते हैं, इसके पीछे भी बड़ा खेल होता है। विभागीय इंजीनियरों के मुताबिक एक साइट पर सर्विस लेन और नाली निर्माण कराने में करीब 50 लाख रुपये का खर्चा आता है।
ऐसे में यदि एक पुल औसतन दो साल में तैयार होता है तो उसे दो बार सर्विस लेन बनानी पड़ेगी, इसके साथ ही बीच-बीच में मरम्मत पर खर्चा करना होगा। ऐसे में करीब 70-80 लाख रुपये खर्च हो जाता है लेकिन ठेकेदार पुल का काम खत्म होने के बाद सर्विस लेन बनाकर इस पैसे को अफसरों के साथ मिलकर हजम कर जाता है, जबकि यह सब टेंडर की शर्तों में शमिल होता है।
बिलपुर में गर्डर लॉचिंग का काम चल रहा है। लॉचिंग का काम खत्म होने के बाद सर्विस लेन बनाने का काम शुरू किया जाएगा। फरीदपुर में जगह कम होने की वजह से सर्विस लेन नहीं बना पाई है। निर्माण कार्य में ठेकेदार जो विभाग की सामग्री इस्तेमाल करता है नियमानुसार लिखापढ़ी में उसका भुगतान लिया जाता है। – सुनील गिरि, सहायक अभियंता सेतु निगम