बरेली। बरेली-दिल्ली हाईवे स्थित एक मेडिकल काॅलेज प्रबंधन मेडिकल स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए इन दिनों नए-नए हथकंडे अपना रहा है। आसपास गांवों के लोगों को कुछ रुपयों का लालच देकर, मरीज के साथ आये तीमारदारों को अस्पताल के वार्डों में फर्जी मरीज बनाकर लिटा दिया जा रहा है और मेडिकल स्टूडेंट्स या एडमीशन करवाने आए धन्ना सेठों के लाड़लों का डाक्टरों के साथ वार्डों में विजिट कराकर इन नकली मरीजों को ही असली बताकर दिखाया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि शहर से दूर इस प्राइवेट मेडिकल काॅलेज एवं हाॅस्पिटल में ग्रामीण क्षेत्र के मरीज ऊंची-आलीशान बिल्डिंग देखकर आ तो जाते हैं लेकिन अंदर घुसने पर ही पता चलता है कि दरअसल इस ढोल में सब कुछ पोल ही पोल है। फ्री-किफायती इलाज का तो सिर्फ बहाना होता है।
अस्पताल में मरीज को भर्ती कराने पर कदम-कदम पर रुपया फूंकना लाजिमी है। भरपूर रकम चुकाने पर भी डाॅक्टर से लेकर स्टाफ तक कोई भी ढंग से बात तक नहीं करता है और ज्यादातर मरीजों को आधा-अधूरा इलाज करवाकर ही अस्पताल से छुट्टी करवाकर ले जाना पड़ता है।
यही वजह है कि सैकड़ों बेड्स और तमाम विभागों वाले इस अस्पताल के ज्यादातर वार्डों में बेड खाली ही रहते हैं। यही वजह है कि नर्सिंग, एमबीबीएस और अन्य मेडिकल कोर्सेज में दाखिले की मंशा से आए स्टूडेंट्स को अस्पताल के बेड्स फुल दिखाने के लिए अक्सर नकली मरीज इन बेडों पर लिटा दिए जाते हैं। अस्पताल के डाॅक्टर मेडिकल स्टूडेंट्स के सामने इन नकली मरीजों का हालचाल भी पूछते हैं।
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