मीरगंज। युवा चिकित्सक-समाजसेवी एवं साहित्य प्रेमी प्रताप हाॅस्पिटल के संस्थापक डाॅ. वीरेंद्र प्रताप गंगवार (एमडी) के संयोकत्व में उनके जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर मीरगंज में रामपुर रोड स्थित उन्हीं के सत्यराज हाॅस्पिटल एवं प्रस्तावित मेडिकल काॅलेज में विराट कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन को यादगार बना दिया देश के लब्ध-प्रतिष्ठ कवि डाॅ. राहुल अवस्थी की लोकप्रिय-कर्णप्रिय कविताओं-गीतों-छंदों और उनके सिद्धहस्त-कुशल मंच संचालन कौशल ने। डाॅ. राहुल अवस्थी ने सदाबहार गीतों से बहाई काव्य गंगा ।
वरिष्ठ कवि रणधीर गौड़ ‘धीर’ की वाणी वंदना से प्रारंभ हुए इस विराट कवि सम्मेलन को सच में विराट स्वरूप उस वक्त मिला जब दो दर्जन से ज्यादा स्थानीय-बरेली से आमंत्रित और प्रदेश के कई जिलों से विशेष रूप से बुलवाए गए मां वाणी के वरद पुत्रों के तीन घंटे से अधिक समय तक चले गीत-ग़ज़लों की मस्ती और हास्य-व्यंग के फौव्वारों के बीच द्वितीय चरण के संचालन के लिए मंच संभाला सम-सामयिक कविता के प्रतिमान डाॅ. राहुल अवस्थी ने।
अपने सुमधुर काव्यपाठ के मध्य डाॅ. अवस्थी ने जब यह गीत गाया तो पंडाल में बैठे सभी सुधी काव्यप्रेमी लयबद्ध होकर पूरे समय तालियां बजाते-गीत गुनगुनाते रहे-
किशनजी बोले-राधा होली न मनाओगी क्या?
तुम्हीं न मनाओगी तो किससे मनाऊं मैं?
बरसाने वाले बरसाने के बजाय तरसाने लगें तो-
ये रंग फिर कहां बरसाऊं मैं?
इस सदाबहार गीत पर भी डाॅ. अवस्थी ने खूब तालियां-वाहवाहियां बटोरीं–
पैर जमाने भर पर धरता जाएगा
जो मन में आएगा करता जाएगा
वक्त को कैसे बांध सकोगे मुट्ठी में?
लम्हा-लम्हा वक्त गुजरता जाएगा।
मन यदि रामचरित मानस बन जाए तो
जीवन श्रीमद्भगवद्गीता बन जाएगा।
इससे पहले इस आयोजन और ‘कविता चली गांव की ओर’ अभियान के सूत्रधार ओज-देशभक्ति के राष्ट्रीय हस्ताक्षर कमलकांत तिवारी ने संचालन का दायित्व सफलतापूर्वक निभाते हुए इन पंक्तियों से पूरे पंडाल को राष्ट्रप्रेम के समंदर में डुबो दिया-
हमने गीत नहीं लिखे हैं महबूबा के गालों पर, और…
भारत जिंदाबाद रहा है, भारत जिंदाबाद रहेगा।
पटियाली से आए शरदकांत मिश्र ‘लंकेश’ ने पढ़ा-
एक कतरे की तमन्ना ले समंदर तक गई।
भारतमाता की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने गाया-
इस धरती से उस अंबर तक मां का रूप निराला है,
सर से लेकर पांव तलक वह रत्न जड़ी इक माला है।
इंदुभूषण पांडेय ‘इंदु अजनबी’ शाहजहांपुर ने- मेले और बाजार तुम्हारे होने से
सुरभित ये संसार तुम्हारे होने से
होते हैं त्योहार तुम्हारे होने से’ और कई अन्य बेहतरीन कविताएं सुनाकर प्रशंसा बटोरी।
डाॅ. ध्रुव त्रिपाठी-उन्नाव को इस गीत पर खूब वाहवाही मिली-
जाने क्यों मधुमास मुझे दीवाना लगता है,
अपने घर का आंगन भी अन्जाना लगता है।
निर्मल सक्सेना ने हास्य की फुलझड़ियों से सबको खूब हंसाया-
मैं तुम्हें प्रीति करूं तुम भी मुझसे प्रीति करो
मुझसे लड़ना नहीं आता इलैक्शन बिल्कुल
दिल की संसद में मुझे भी मनोनीत करो।
हिमांशु श्रोत्रिय ‘निष्पक्ष’ की अध्यक्षता में चले इस कवि सम्मेलन में गणेश पथिक, ग़ज़लराज, सत्यवती सिंह ‘सत्या’, किरण प्रजापति ‘दिलवारी’, उपमेंद्र सक्सेना, दीप्ति पांडेय, उन्नति शर्मा, रामप्रकाश सिंह ‘ओज’, रामरतन यादव खटीमा, उमेश त्रिगुणायत ‘अद्भुत’, राजेश शर्मा, अमित शुक्ला फरीदपुर, अमन मुसाफिर, रामकुमार भारद्वाज ‘अफरोज़’ आदि कवियों-शायरों ने भी अपनी बेहतरीन रचनाओं से कवि सम्मेलन को विराट ऊंचाइयों तक पहुंचाया और अपने-अपने अंदाज़ से डाॅ. वीरेंद्र प्रताप गंगवार को उनके जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शुभकामनाएं और बधाइयां दीं।
कार्यक्रम में डाॅ. वीरेंद्र प्रताप के पिता और मीरगंज क्षेत्र में चिकित्सा तथा शिक्षा के कई स्तरीय संस्थानों के संस्थापक डाॅ. सत्यवीर गंगवार, मिलक (रामपुर) के पूर्व भाजपा विधायक ज्वाला प्रसाद गंगवार और रामाशंकर पांडेय, जीएस पांडेय, संतोष शर्मा, डाॅ. रामेंद्र सिंह चौहान समेत कई ग्राम प्रधान, भाजपा के मीरगंज मंडल अध्यक्ष तेजपाल सिंह फौजी, फतेहगंज पश्चिमी मंडल अध्यक्ष कुलवीर सिंह, राहुल यदुवंशी, संजीव शर्मा, सौरभ पाठक, मुदित सिंह समेत मिलक, रामपुर, मीरगंज, फतेहगंज पश्चिमी और बरेली से आए सैकड़ों काव्य प्रेमी मौजूद रहे। डाॅ. वीरेंद्र प्रताप, कमलकांत तिवारी और डाॅ. राहुल अवस्थी द्वारा सभी आमंत्रित-विशेष आमंत्रित कवियों का फूलमालाएं पहनाकर-पुष्प गुच्छ देकर, शाॅल उढ़ाकर और प्रशस्तिपत्र भेंटकर सारस्वत अभिनंदन भी किया गया।