बरेली। डिप्टी सीएमओ Dr. Laik Ahmed Ansari की मुश्किलें इन दिनों बढ़ती जा रही हैं। पहले तो उनका सेवा नियमावलियों के विरुद्ध गृह जनपद में तैनाती होने के बाद भी प्रशासनिक कार्य करने का मामला सामने आया मगर अब जो प्रकरण सामने आया है उससे उनकी काबिलियत शक के घेरे में आ गई है। उनके डॉक्टर होने तक पर सवाल उठ रहे हैं, इसके पीछे वजह उनका एक मामूली कोर्स एक साल से भी अधिक समय में पास न कर पाना है।
Dr. Laik Ahmed Ansari करीब दो साल पहले जुगाड़ लगाकर शाहजहांपुर से गृह जनपद बरेली ट्रांसफर लेकर आए थे। एनेस्थेसियोलॉजिस्ट होने के नाते उन्हें भमोरा सीएचसी में तैनाती मिली, तब से मूल तैनाती स्थल वहीं है। उन्हें भमोरा सीएचसी के एफआरयू में सिजेरियन ऑपरेशन के लिए रखा गया था लेकिन यहां भी वह जुगाड़ लगा ले गए और मूल काम छोड़कर प्रशासनिक कार्य कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें- स्वास्थ्य विभाग: सेवा शर्तों के खिलाफ प्रशासनिक कार्य कर रहे Deputy CMO Dr. Laik Ahmed Ansari
वैसे तो Dr. Laik Ahmed Ansari लेवल 3 के डॉक्टर हैं, लेकिन सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह की मेहरबानी से लेवल 4 का पद संभाल रहे हैं, क्योंकि यह लाभ का पद है।
सीएमओ ने उन्हें झोलाछाप और अस्पताल पंजीकरण एवं नवीनीकरण का नोडल अधिकारी बना रखा है, जबकि यह पद लेवल 4 के डॉक्टर का है। इससे पहले यह पद डॉ. सौरभ सिंह के पास था लेकिन जब डॉ. विश्राम सिंह बतौर सीएमओ बरेली आए तो डॉ. सौरभ सिंह का तालमेल उनसे नहीं बैठा। इस पर उन्हें हटाकर यह पद Dr. Laik Ahmed Ansari को दे दिया।
यह भी पढ़ें- 22 महीने में दोगुना पैसा: बरेली की कंपनी चला रही मालामाल बनाने का खेल!
3 महीने की ट्रेनिंग, लगातार फेल हो रहे Dr. Laik Ahmed Ansari
हर सरकारी विभाग में प्रमोशन के लिए कुछ विशेष कोर्स होते हैं, जिनके लिए कुछ माह या हफ्तों की ट्रेनिंग दी जाती है। उसके बाद एक साधारण टेस्ट होता है, उसे पास करने के बाद संबंधित व्यक्ति को उस विधा का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है, जो उसके प्रमोशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसी तरह स्वास्थ्य विभाग में ईएमओसी और एलएसीएस कोर्स और परीक्षा कराई जाती है ताकि डॉक्टरों की काबिलियत को जांचा जा सके कि वह आपात स्थिति से निपटने में कितने काबिल हैं, मगर डॉ. लईक अहमद अंसारी दो बाद यह परीक्षा दे चुके हैं और लगातार फेल होते आ रहे हैं।
यह भी पढ़ें:- कैनविज कंपनी के सीएमडी कन्हैया लाल गुलाटी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
ऐसे में विभागीय कर्मचारी ही उन पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं कि एक डॉक्टर होने के बाद भी वह कैसे परीक्षा में फेल हो रहे हैं। या तो वह नाकारा हैं या फिर जानबूझ कर फेल हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें:- Janta Transport के मालिक ने फर्जीवाड़ा कर करीबियों को किया मालामाल
परीक्षा में फेल होने के भी अपने फायदे
सरकारी विभागों में प्रमोशन या ट्रेनिंग के लिए होने वाली आंतरिक परीक्षा में फेल होने का भी अपना ही एक अलग फायदा होता है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक कुछ डॉक्टर जो लाभ के पद पर बैठे होते हैं वह प्रमोशन की जगह कुर्सी को प्राथमिकता देते हैं और अगर गृह जनपद में हैं और लाभ के पद पर हैं तो सोने पर सुहागा।
ऐसे में कौन परीक्षा पास करके बड़े संस्थान में तैनाती लेना चाहेगा। दरअसल यह परीक्षा पास करने के बाद डॉक्टर को बड़े मेडिकल कॉलेज या अस्पतालों में तैनाती दे दी जाती है ताकि वह स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकें। ऐसे में डॉक्टर के सारे धंधे बंद हो जाते हैं, इसलिए डॉक्टर ऐसी परीक्षाओं में पास होने से बचते हैं।