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बरेली में भाजपा की नैया को पार लगा पाएंगे नए खिवैया छत्रपाल गंगवार?    

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Sanjeev Sharma

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बरेली में भाजपा की नैया को पार लगा पाएंगे नए खिवैया छत्रपाल गंगवार?

गणेश पथिक

बरेली। कई दिन तक चली ऊहापोह के बाद भाजपा हाईकमान ने लोकसभा प्रत्याशियों की अपनी पांचवीं बहुप्रतीक्षित सूची शनिवार रात लगभग आठ बजे जारी कर दी। यूपी की सभी बची सीटों पर भी पार्टी के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। लेकिन, इस सूची में सबसे चौंकाने वाला फैसला बरेली से मौजूदा सांसद संतोष गंगवार का टिकट काटा।

संतोष को रुहेलखंड की राजनीति का भीष्म पितामह और मुस्लिमों समेत सभी वर्गों में गहरी पैठ रखने वाले धीर-गंभीर, सौम्य-सरल नेता के रूप में जाना जाता है। संतोष आठ बार के सांसद और डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय तक कई भारी-भरकम विभागों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी रहे हैं।

भाजपा नेतृत्व की ऊहापोह यह थी कि संतोष  गंगवार का अपनी 90 फीसद से भी ज्यादा कुर्मी बिरादरी के मतदाताओं पर तो खासा असर है ही, लोध राजपूत समेत हिंदू समाज की अन्य सभी जातियों और मुस्लिम समुदाय के भी काफी बड़े तबके पर अच्छा प्रभाव रहा है। ऊहापोह की वजह यह थी कि अगर संतोष का टिकट काटा गया तो मुस्लिमों के साथ ही हिंदू समाज की गंगवार और कई अन्य जातियों के वोटर्स का कुछ हिस्सा भाजपा से छिटककर विपक्षी सपा-इंडिया गठबंधन के संयुक्त प्रत्याशी पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन की तरफ मुड़ सकता है।

संतोष गंगवार का टिकट कटने की वजहें भी बड़ी और माकूल हैं। वर्ष 2009-2014 के कार्यकाल को छोड़ दें तो आठवीं बार बरेली का प्रतिनिधित्व करने वाले संतोष पर सबसे बड़ा इल्ज़ाम तो यही है कि उनकी अनदेखी के चलते ही बरेली की शान रबड़ फैक्टरी समेत दर्जनों छोटे-बड़े कारखाने एक-एक कर बंद होते गए और बड़ी तादाद में लोग बेरोजगारी के दुष्चक्र में घिरते ही चले गए लेकिन संतोष ने एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और पहले अटल बिहारी बाजपेयी और बाद में नरेंद्र मोदी सरकार में ऊंचा रसूख रखने के बावजूद इन फैक्टरियों की बंदी और श्रमिकों-कामगारों के विस्थापन को रोकने की दिशा में कभी कोई गंभीर-कारगर पहल नहीं की।

भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष का ओहदा रखने वाले उप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजेश अग्रवाल संतोष के खिलाफ कई महीने पहले ही मोर्चा खोल दिया था। उन्हें सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर बरेली लोकसभा से किसी कर्मठ-युवा को आगे बढ़ाकर उसे आशीर्वाद देने की नसीहत भी सार्वजनिक तौर पर दे डाली थी जो अब पब्लिक डोमैन में भी है।

संतोष पर दूसरा बड़ा आरोप यह भी लगता रहा है कि वह ऐसे विशाल वटवृक्ष हैं जिन्होंने अपने अलावा कुर्मी बिरादरी के किसी भी नेता को आगे बढ़ने ही नहीं दिया है। संतोष पर आरोप यह भी है कि वे निजी या सार्वजनिक समस्याएं लेकर आने वाले पक्ष-विपक्ष के लोगों को पत्र तो लिखकर थोक में दे देते रहे हैं लेकिन उन पत्रों का असर बड़े से छोटे अधिकारियों तक पर रत्ती भर भी नहीं होता है। सरकारी दफ्तरों में पत्र लेकर धक्के खाने के बाद आखिरकार सब थक-हारकर घर पर बैठ जाते हैं और समस्या सालोंसाल अनसुलझी ही रहती है।

यही वजह है कि वर्ष 2014 में अपने गोद लिए गांव रहपुरा जागीर की जमीन और पास की रबड़ फैक्टरी की सरकारी जमीन पर टैक्सटाइल्स पार्क बनवाने के अपने ही ड्रीम प्रोजेक्ट को तत्कालीन केंद्रीय राज्य मंत्री संतोष गंगवार भूल ही गए और कमजोर पैरवी के चलते ही मोदी सरकार ने भी देश में प्रस्तावित सात टैक्सटाइल्स पार्कों में बरेली के अलावा दूसरे शहरों के नाम शामिल कर लिए।

बहरहाल, अब जब संतोष की जगह बहेड़ी के विधायक रहे पेशे से शिक्षक छत्रपाल गंगवार को बरेली से भाजपा प्रत्याशी घोषित कर ही दिया है तो उसकी वजह उनकी जुझारू-ईमानदार और बहेड़ी के अलावा पूरी बरेली लोकसभा में सर्वस्वीकार्य-निर्विवाद छबि रही है। भाजपा नेतृत्व को उम्मीद है कि छत्रपाल गंगवार कुर्मी होने के नाते भाजपा के परंपरागत कुर्मी वोट बैंक को साधने के साथ ही हिंदू समुदाय की अन्य जातियों को भी असरदार ढंग से अपने साथ रखने में कामयाब रहेंगे और इन्हें भाजपा के पाले से छिटकने नहीं देंगे।

एक और प्रमुख दावेदार बरेली के विकास पुरुष की छबि रखने वाले लगातार दूसरी बार महापौर चुने गए उमेश गौतम के मजबूत दावे को भी इसी आधार पर खारिज किया गया कि मुस्लिमों का बड़ा तबका संतोष की तरह गौतम के नाम पर भी भाजपा के साथ खड़ा रह पाने में संदेह था। छत्रपाल को टिकट देकर मुस्लिम वोटरों को साधने की बड़ी कोशिश की गई।

देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व की यह नई रणनीति छत्रपाल के नाम और मोदी के चेहरे पर किस हद तक भाजपा के वोटों की फसल में तब्दील हो पाएगी? बदायूं में संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर जमीन से जुड़े जुझारू नेता दुर्विजय सिंह शाक्य को चुनावी रणभूमि में उतारा गया है। तो पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटकर नेताओं को अनुशासन में रहने का पाठ पढ़ाया गया है।

वरुण की जगह पीलीभीत से प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री कुंवर जितिन प्रसाद को लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया गया है। हालांकि तमाम अटकलों को खारिज करते हुए सुल्तानपुर से वरुण की मां मेनका गांधी पर भाजपा नेतृत्व ने एक बार फिर भरोसा जताया है।

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Author: Sanjeev Sharma

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