Sunday, April 20, 2025

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Bareilly: जांच में दफन कर दिया करोंड़ो के बिजली घोटाले का राज 

बरेली योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस का दावा कर रही हो, मगर पावर कारपोरेशन में शायद यह कोई मुददा नहीं है। पिछले दिनों जिस कर्मचारी ने फर्जी बिजली रसीदों के सहारे करोड़ो रूपये के घोटाले की शिकायत की थी, उसे पहले निलंबित किर दिया गया और अब उसे क्लीन चिट दे दी गई है। यही नहीं विद्युत वितरण खंड प्रथम में तैनात अधिशासी अभियंता मनोज कुमार और लेखाकार सुधीर शुक्ला पूरे मामले को ही हजम कर गये। उन्होंने अपनी जांच में राजस्व हानि व वित्तीय अनियमित्ता न होने की रिपोर्ट लगाकर भ्रष्टाचार की जांच को शिष्टाचार से दफन कर दिया है।

ये था मामला

अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खण्ड प्रथम मनोज कुमार के खंड कार्यालय में कम्प्यूटर से फर्जी रसीदों के सहारे लाखों रूपये की हेराफेरी करने का मामला उजागर हुआ था। कैशियर सौरभ राजपूत ने कम्प्यूटर के रीसायकल बिन में बिल की एडिट की हुई रसीदें देखीं और मामले की जानकारी खण्ड के लेखाकार राजस्व और अधिशासी अभियंता को दी। साथ यह भी बताया कि जिस कम्प्यूटर पर वह काम कर रहे थे उसपर पहले से ही सीएससी विशाल श्रीवास्तव काम करता था। 

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लेकिन अधिशासी अभियंता मामले को करीब दो सप्ताह तक दबाए रहे। उन्होंने न तो इस प्रकरण में कोई जांच कराना जरूरी समझा और न उस कर्मचारी पर कोई कार्रवाई की जिसपर कैशियर ने फर्जी रसीद बनाने का शक जाहिर किया था। इसी दौरान रहस्मय तरीके से वह कम्प्यूटर चोरी हो गया जिसके रीसायकल बिन में फर्जी रसीदें होने की शिकायत की गई थी। पहले दिन से ही जिस तरह से इस मामले को दबाने के प्रयास किये गये और बाद में उसी कर्मचारी पर कार्रवाई की गई जिसने पूरे प्रकरण का खुलासा किया था और अब क्लीन चिट देना जिम्मेदारों की भूमिका पर सवाल खड़े कर रही हैं। सूत्रों की मानें तो पूरे मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगर किसी अन्य जांच एजेंसी से इस प्रकरण की जांच कराई गई तो कई इंजीनियर और कर्मचारी बेपर्दा हो जायेंगे।


जानिए कहां से हुई भ्रष्टाचार की शुरूआत   

आपको बताते चलें कि विगत वर्षों में खंड प्रथम ग्रामीण में तैनात अधिशासी अभियंता पंकज भारती ने नियम विरुद्ध खंड के टीजीटू कार्मिकों को विल संशोधन एवं ट्यूवेल और लाइन स्टीमेट पास करने जैसे कार्य बिना किसी उच्चाधिकारी को अवगत कराए और बिना किसी  आदेश के नियम विरुद्ध आवंटन कर दिए थे। जिसमे टीजीटू कार्मिकों ने क्षेत्रीय बकायेदारों के विलो के एरियर अपनी विभागीय विल संशोधन आईडी से जमाकर सीधे उपखंड अधिकारी से सैटिंग कर अप्रूवल लेकर उड़ा दिए। कार्मिकों द्वारा नियम विरुद्ध विल संशोधन कर और बिजली चोरी के राजस्व निर्धारण मामलों में संबंधित पटल सहायक द्वारा पहले ज्यादा का नोटिस भेजकर फिर परेशान उपभोक्ताओं से सौदेबाजी कर मामले में एफआर की गारंटी लेकर कम धनराशि की रसीद पकड़ा दी जाती है। ऐसे मामलों में करोड़ो का गोल मोल किया गया है, उपकेंद्र शाही अंतर्गत उपखंड मीरगंज पर पूर्व में तैनात टीजी टू सौरभ राजपूत द्वारा भी उपभोक्ताओं के विल संशोधन मामले में करोड़ो का घोटाला होने की शिकायत की जांच चल रही थी।

मध्यांचल मुख्यालय द्वारा चीफ इंजीनियर प्रथम बरेली और अधीक्षण अभियंता ज्ञानेंद्र सिंह से मामले की जांच कर कार्यवाही हेतु आख्या मांगी गई थी, और अधिकारियों द्वारा पत्राचार भी किया गया था। लेकिन खंड प्रथम ग्रामीण में भ्रष्टाचार के चलते अधिशासी अभियंता मनोज कुमार और लेखाकार राजस्व सुधीर शुक्ला ने गुपचुप गलत विल संशोधन प्रकरण की शिकायत में कोई भी वित्तीय अनियमितता और विभाग की कोई राजस्व हानि न होने संबंधी फाइनल जांच लगाकर अपने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेज सौरभ राजपूत को क्लीन चिट दे दी।

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