बरेली। इज्जतनगर पुलिस और एसओजी ने स्मैक फैक्ट्री का भंडाफोड़ कर छह स्मैक तस्करों ( samck smugglers ) को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 3 किलो 526 ग्राम स्मैक, 1.46 लाख रुपये नकद, दो वाहन और स्मैक बनाने के उपकरण बरामद किए हैं। इस दौरान दो तस्कर पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए। पुलिस ने गिरफ्तार स्मैक तस्करों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया फरार दोनों तस्करों की तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस और एसओजी ने मुखबिर की सूचना पर रेलवे रोड नंबर 5 स्थित पुराने खंडहर पर छापा मारा। पुलिस ने मौके से छह तस्करों को गिरफ्तार किया गया जिनमे अधिकांश स्मैक तस्कर फतेहगंज पश्चिमी और सीबीगंज थाना क्षेत्र के निवासी हैं। पुलिस ने आरोपियों के पास से 3 किलो 526 ग्राम स्मैक ( जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार मे अनुमानित कीमत 3.5 करोड़ रुपये ), 1.46 लाख रुपये नकद, 7 मोबाइल फोन, 10 लीटर एसीटिक एनहाइड्राइड केमिकल, स्मैक निर्माण उपकरण, कांटा, स्कूटी और स्विफ्ट कार बरामद की है।
पुलिस ने इन आरोपियों को किया गिरफ्तार
पुलिस और एसओजी की टीम ने अकरम पुत्र बाबू निवासी नई बस्ती फतेहगंज पश्चिमी, आसिफ पुत्र अख्तर निवासी वार्ड-13 नई बस्ती फतेहगंज पश्चिमी, हारून पुत्र हबीबुल्ला निवासी तिलियापुर सीबीगंज, जावेद पुत्र अनीस मिया निवासी अंसारी वार्ड-09 फतेहगंज पश्चिमी, राशिद पुत्र असलम निवासी अंसारी वार्ड-07 फतेहगंज पश्चिमी, आदेश तिवारी पुत्र सत्यप्रकाश निवासी ग्राम मनकरी फतेहगंज पश्चिमी को गिरफ्तार किया है। वहीं अफजाल मुल्ला निवासी एजाजनगर गौटिया बारादरी और उस्मान कुरैशी निवासी मोहल्ला सराय फतेहगंज पश्चिमी मौके से फरार हो गए।
मणिपुर से कच्चा माल मांगकर करते थे स्मैक तैयार
पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर पूछताछ की। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वह मणिपुर से कच्चा माल मंगवाकर स्मैक तैयार कर उसे आसपास के जिलों में बेचते थे। बताया जाता है कि आरोपी लंबे समय से इस धंधे से जुड़े हैं।
तस्करों ने आपस मे बांट रखे थे काम
पूछताछ में मुख्य आरोपी अकरम ने बताया कि वह पूर्व में भी स्मैक तस्करी में जेल जा चुका है। मणिपुर से मार्फिन नामक कच्चा माल लाकर वह स्मैक तैयार करता था। इस कार्य में उसके साथ आसिफ, हारून, जावेद, राशिद और आदेश तिवारी भी सक्रिय रूप से शामिल थे। स्मैक तैयार करने के बाद वह इसे आसिफ, भूरा, आरिफ, साजन और अन्य के जरिए बरेली व आसपास के जिलों में सप्लाई करता था। गिरोह के सदस्य मोबाइल फोन के माध्यम से संपर्क साधते थे और पुराने खंडहर में स्मैक तैयार कर वितरण करते थे।