बरेली। भमोरा शाहबाद रोड पर बिजली की लाइन शिफ्टिंग में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। शासन के निर्देश के बाद भमोरा से शाहबाद तक स्टेट हाइबे के चौड़ीकरण का काम शुरू हो गया है। इसके पहले चरण में बिजली की लाइन और पेड़ों की शिफ्टिंग का काम किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग ने बिजली की लाइन शिफ्ट करने के लिए खुद टेंडर निकाले हैं। टेंडर पड़ने के समय से ही शिकायतों का दौर शुरू हो गया। लोक निर्माण विभाग द्वारा जिस फर्म को लाइन शिफ्टिंग का ठेका दिया गया था उसके अनुभव पर सवाल उठने लगे थे। शासन तक शिकायत हुई लेकिन अफसर अपने चाहते ठेकेदार को काम दिलाने में सफल रहे। अब नियमों को कागजों में दफन कर विभागीय इंजीनियर पुराने कमजोर खंभों के सहारे बिजली का करंट दौड़ाने में जुटे हैं।
भमोरा शाहबाद रोड पर लाइन शिफ्टिंग का करोड़ो रुपये का ठेका आरके एसोसिऐटस फर्म को मिला है। फर्म ने लाइन शिफ्टिंग का काम शुरू कर दिया है। लेकिन काम शुरू होते ही फर्म की कार्यशैली और गुणवत्ता पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। कहीं पश्चिमांचल तो कहीं मध्यांचल विधुत वितरण निगम लिमिटेड लिखे नये पुराने खंभे लगाये जा रहे हैं। इस काम की गुणवत्ता देखने की जिम्मेदारी पावर कॉर्पोरेशन के अफसरों की है। जिसके लिए लोक निर्माण विभाग की तरफ से सुपरविजन चार्ज भी पावर कारपोरेशन में जमा करा दिया है। लेकिन पावर कॉर्पोरेशन के अफसर हैं कि काम की गुणवत्ता को लेकर संजीदा ही नहीं है। दरअसल भमोरा से लेकर शाहबाद तक बिजली की लाइन शिफ्ट हो रही है जिसका एक बड़ा हिस्सा आंवला डिवीजन में आता है। बरेली की फर्म आरके एसोसिऐटस ने काम शुरू किया तो उसमे लगने वाले खम्भे पीवीवीएनएल यानी पश्चिमांचल विधुत वितरण निगम लिमिटेड और एमवीवीएनएल यानी मध्यांचल विधुत वितरण निगम लिखे लगा दिए। यही नहीं आरोप है कि बिना सही से ग्राउटिंग किए खम्बे खड़े कर दिए। वही एसटीपी जोकि लोहे के खम्भे होते है उन पर पीवीवीएनएल लिखा था जिसे बाद में एम बढाकर एमवीवीएनएल कर दिया। बताया जा रहा है कि यह खम्बे सरकारी सप्लाई में आते हैं। जानकार बताते हैं कि ठेकेदार या फर्म को सरकारी मार्का वाले खम्भे नहीं लगाने चाहिए।
बिना माल परीक्षण के लाइन खींच दी
विभाग के कानून कागजों में दौड़ रहे हैं, जमीन पर इंजीनियर साहब की मर्जी चल रही है। विभागीय जानकारों की मानें तो लाईन शिफ्टिंग के लिए माल को साइट पर लाने से पहले मध्यांचल की टीम को फैक्ट्री में इंस्पेक्शन करना होता हैं। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही माल साइट पर आना चाहिए। लेकिन अफसरों और ठेकेदार की जुगलबंदी के चलते इस नियम को कागजों में दफन कर दिया गया और कमजोर खम्भों पर लाइन खड़ी करना शुरू कर दिया है। इस बारे में जब अधिशासी अभियंता विधुत वितरण निगम आंवला ओपी पाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अभी लाइन शिफ्टिंग में लगने वाले माल का फैक्ट्री और साइट इंस्पेक्शन नहीं हुआ है। पहले लाइन तैयार हो जाये अगर माल में कमी निकली तो हेंडओवर से पहले उसे सही कराया जायेगा। जब उनसे पूछा गया कि लाइन शिफ्टिंग में पुराना सामान लग रहा है तो उस पर भी वही जबाव देकर टाल गए कि हेंडओवर के समय बारीकी से चैक कराएँगे।
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