Bareilly News: फर्जी दस्तावेजों के जरिये करोड़ों के ठेके हथियाने के आरोपों में घिरी अनिल एसोसिएट्स (Anil Associates) की मुसीबतें एक बार फिर बढ़ गई हैं, जो जांच आईजी राकेश सिंह के रिटायर होने के बाद दबा दी गई थी उसका पिटारा शासन ने दोबारा खोल दिया है। लोकतंत्र टुडे की खबर का संज्ञान लेकर प्रमुख सचिव गृह उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर उप सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने नवागत आईजी को रिमाइंडर भेजकर मामले की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में डीजीपी को भी पत्र भेजा गया है।
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शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र में रहने वाले अक्षय शंखधार ने जलालाबाद विधानसभा से भाजपा विधायक हरिप्रकाश वर्मा को पत्र देकर अनिल एसोसिएट्स पर निविदा प्राप्त करने के लिए गलत प्रपत्रों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
अक्षय का आरोप है कि अनिल एसोसिएट्स आठ साल से सीए की मिलीभगत से अपना टर्नओवर बढ़ाकर दिखा रही है। फर्म ने फर्जी बैंक स्टेटमेंट, टर्नओवर और अनुभव प्रमाण पत्र दर्शाया, जिनके जरिये सरकार से ठेके हासिल किए। इन्हीं फर्जी प्रपत्रों के आधार पर फर्म ने रामगंगा नदी पर कोलाघाट पुल का ठेका लिया। उन्होंने अनिल एसोसिएट्स पर कागजों में हेराफेरी और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने की मांग की। इस पर विधायक ने मामले की शिकायत शासन से की थी।
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शासन के पत्र पर आईजी डॉ. राकेश सिंह ने सीओ क्राइम हर्ष मोदी को मामले की जांच देकर दो दिन में रिपोर्ट मांगी थी लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी सीओ ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। इस बीच आईजी डॉ. राकेश सिंह रिटायर हो गए तो जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इस मामले को लोकतंत्र टुडे ने प्रमुखता से उठाया तो शासन ने इसका संज्ञान लेकर दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
5 साल में खड़ा किया 500 करोड़ का साम्राज्य
बरेली के कस्बा फरीदपुर में स्टेशन रोड पर रहने वाले अनिल गुप्ता ने अपनी मां के नाम पर अनिल एसोसिएट्स नामक फर्म का पंजीकरण करा रखा है। फर्म का सारा कामकाज अनिल गुप्ता ही देखते हैं। वर्ष 2019-20 से पहले यह फर्म जिला पंचायत में ठेकेदारी करती थी। उस वक्त फर्म का टर्नओवर करीब एक करोड़ रुपये के आसपास था। इसके बाद अनिल गुप्ता बरेली की किला इकाई में तैनात दो इंजीनियरों के संपर्क में आए।
दोनों इंजीनियरों से नजकियां बढ़ीं तो उन्हें काम मिलने लगे। इस दौरान उनकी जड़ें कानपुर तक पहुंच गईं। जहां वह पीडब्ल्यूडी के एक बड़े इंजीनियर के संपर्क में आए, फिर यही इंजीनियर सेतु निगम में बड़े पद पर काबिज हो गए तो अनिल गुप्ता पर रुपयों की बारिश होने लगी। मौजूदा समय में अनिल एसोसिएट्स 500 करोड़ से ज्यादा का काम कर रही है।
ये अधिकारी बने अनिल गुप्ता की नैय्या के खिवैया
जिला पंचायत में छोटे-मोटे काम करने वाले अनिल गुप्ता की किस्मत के सितारे तब बुलंदियों पर पहुंचे जब उनकी सेतु निगम के बरेली किला इकाई में तैनात दो इंजीनियरों से नजदीकियां बढ़ीं। ये दोनों इंजीनियर लंबे समय से किला इकाई में तैनात थे। एक ही जगह लंबे समय तक डटे रहने पर इन पर ट्रांसफर की तलवार लटकी तो ये साठगांठ करके इकाई शाहजहांपुर ले गए ताकि शासन को यह संदेश दिया जा सके कि पूरी इकाई का ट्रांसफर हो गया है लेकिन बरेली जोन के जीएम इनके कामकाज से संतुष्ट नहीं थे। इस पर इन्होंने अपनी जोन बरेली से बदलवा कर लखनऊ करा ली। बड़े पद पर बैठे अधिकारी और दोनों स्थानीय इंजीनियरों का सहयोग मिलने से अनिल गुप्ता की गाड़ी सरपट दौड़ने लगी। अनिल गुप्ता को काम में प्राथमिकता दी जाने लगी और इस दौरान सही गलत का भेद भी नहीं किया गया।
अनिल एसोसिएट्स में अधिकारियों का पैसा लगा होने से नहीं होती कार्रवाई
अनिल गुप्ता की सेतु निगम में लखनऊ तक गहरी पैठ होने से अधिकारियों ने भी अपनी काली कमाई उन पर लगाने से गुरेज नहीं किया। एक तरफ अधिकारी अनिल गुप्ता को ठेके दिलाने में मदद करते गए तो दूसरी तरफ काम करने के लिए पैसे भी देते गए। यही वजह रही कि महज पांच साल में अनिल गुप्ता एक करोड़ से 500 करोड़ रुपये तक के काम करने लगे। इस बीच उनके ऊपर जो भी दाग लगा उसे धोने का काम उनके साइलेंट पार्टनर सेतु निगम के अधिकारी करते रहे।