Bareilly Health department। Bareilly News: योगी सरकार का आदेश बरेली स्वास्थ्य विभाग में कोई मायने नहीं रखता। यहां सबकुछ सीएमओ साहब की मर्जी से चलता है। फिर चाहे गृह जनपद में तैनाती के बावजूद प्रशासनिक पद देने का या फिर जूनियर के अंडर में सीनियर के काम करने का, सब सीएमओ की मर्जी से चल रहा है।
विधायक डॉ. मुकेश चंद्र वर्मा ने इसी साल 19 फरवरी को विधानसभा में कनिष्ठ चिकित्सकों को प्रभारी बनाए जाने का मुद्दा उठाया था। तब शासन ने इस संबंध में सभी जिलों को आदेश जारी किए थे, मगर बरेली में इस आदेश को ताक पर रख दिया गया।
Bareilly Health department में तैनात डिप्टी सीएमओ डॉ. लईक अहमद अंसारी करीब दो साल पहले शाहजहांपुर से स्थानांतरित होकर अपने गृह जनपद बरेली आए थे। एनेस्थेसियोलॉजिस्ट होने के नाते उन्हें भमोरा सीएचसी में तैनात किया गया। तब से वहीं उनकी मूल तैनाती है। इसके पीछे शासन की मंशा थी कि ग्रामीण इलाकों में भी बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
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अस्पतालों के पंजीकरण और रिन्युवल में होती है मोटी वसूली
Bareilly Health department में इस समय अस्पतालों के पंजीकरण और रिन्युवल का काम चल रहा है। जिले में करीब 400 से अधिक अस्पतालों का पंजीकरण और रिन्युवल होना है। सूत्रों के मुताबितक अस्पताल के पंजीकरण और रिन्युवल के एवज में 50 हजार रुपये तक की अवैध वसूली होती है। ऐसे में 400 अस्पतालों से करीब दो करोड़ रुपये की वसूली होगी, इसके अलावा पैथोलॉजी लैब और क्लिनिक अलग हैं। इसके अलावा आने वाली शिकायतें मोटी वसूली का जरिया है।
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Bareilly Health department… इसलिए जूनियर डॉक्टर बैठाए जा रहे सीनियर की जगह
डॉ. लईक अहमद अंसारी लेवल 3 के डॉक्टर हैं, जबकि यह सीट लेवल 4 की है यानि उनसे सीनियर डॉक्टर के लिए, जबकि जिले में लेवल 4 के करीब चार डॉक्टर हैं। इसके बाद भी डॉ. लईक अहमद पर मेहरबानी दिखाते हुए सीएमओ ने उन्हें प्रशासनिक कार्य सौंप दिया, बल्कि झोलाछाप और अस्पतालों के पंजीकरण एवं रिन्युवल का नोडल भी बना दिया। बताते हैं कि जूनियर डाक्टरों को चार्ज देने के पीछे वसूली का खेल चलता है।
दरअसल जूनियर डॉक्टरों को हर वक्त इस बात का डर रहता है कि अगर उन्होंने वसूली करके नहीं दी और वरिष्ठों को नाराज किया तो कभी भी उन्हें हटाया जा सकता है इसलिए वह कमाई का जरिया बने रहते हैं। पिछले दिनों शासन ने जूनियर डॉक्टरों को चार्ज देने के मामले को गंभीरता से लिया था मगर इस मामले में भी सीनियर डॉक्टरों से यह लिखवाकर खेल कर दिया गया कि वह काम करने में सक्षम नहीं हैं या उनके घर परिवार में कोई समस्या है लेकिन तर्क भी स्वीकार कर लिया जाना सवालों के घेरे में है।
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गृह जनपद में प्रशासनिक पद पर नहीं रह सकता कोई भी डॉक्टर
नियमानुसार कोई भी डॉक्टर गृह जनपद में रहकर प्रशासनिक कार्य नहीं कर सकता लेकिन डॉ. लईक अहमद अंसारी के लिए यह नियम मायने नहीं रखता। वह भमोरा सीएचसी के एफआरयू में सिजेरियन ऑपरेशन के लिए तैनाती के बावजूद प्रशासनिक कार्य संभाल रहे हैं।
डॉ. लईक अहमद अंसारी लेवल 3 के डॉक्टर हैं लेकिन सीएमओ डॉ. विश्राम सिंह ने उन्हें झोलाछाप और अस्पताल पंजीकरण एवं नवीनीकरण का नोडल अधिकारी बना रखा है, जबकि यह पद लेवल 4 के डॉक्टर का है। इससे पहले यह पद डॉ. सौरभ सिंह के पास था लेकिन जब डॉ. विश्राम सिंह बतौर सीएमओ बरेली आए तो उन्होंने डॉ. सौरभ सिंह को हटाकर यह पद डॉ. लईक अहमद अंसारी को दे दिया।
ईएमओसी और एलएसीएस की परीक्षा में दो साल से फेल हो रहे Dr. Laiq Ahmed Ansari
स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के प्रमोशन के लिए ईएमओसी और एलएसीएस कोर्स कराए जाते हैं ताकि डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर हायर सेंटर में तैनाती दी जा सके, मगर डॉ. लईक अहमद अंसारी दो बार यह परीक्षा दे चुके हैं और लगातार फेल होते आ रहे हैं। इस पर विभागीय कर्मचारी ही उन पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं कि वह जानबूझकर परीक्षा पास नहीं कर रहे हैं। अगर पास हो गए तो उन्हें हायर सेंटर जाना पड़ेगा। हायर सेंटर जाने पर उन्हें लाभ के पद से विमुक्त होना पड़ेगा।