बरेली। बहेड़ी के गांव भोजपुर में 10 साल पहले 36 बीघा बेशकीमती जमीन को लेकर सगे भाई की हत्या कर दी गई थी। अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने सत्र परीक्षण में रघुवीर सिंह और उसके पुत्र मोनू उर्फ तेजपाल को फांसी की सजा सुनाई और एक लाख रूपये अर्थदंड भी लगाया।
सरकारी वकील दिगंबर पटेल ने बताया कि वादी रघुवीर सिंह ने प्रभारी निरीक्षक बहेड़ी को तहरीर देकर बताया था कि उसका छोटा भाई चरन सिंह (42) अविवाहित था। वह मामा भूप सिंह के घर थाना मीरगंज क्षेत्र के गांव हल्दी खुर्द में करीब आठ साल से रह रहा था। मामा के कोई औलाद नहीं होने पर उन्होंने अपनी सारी संपत्ति उसकी मां ओमवती के नाम कर दी थी। उसका भाई चार दिन पहले घर आया था। जमीन नाम न होने से उसके बड़े मामा का लड़का हरपाल रंजिश मानता था।
20 नवंबर 2014 को चरन सिंह घर से मामा की समाधि पर पूजा करने गया था। लौटते समय देर होने पर वह और उसका सौतेला भाई धर्मपाल हाथों में टार्च लेकर भाई चरन सिंह को देखने गए। जैसे ही चरन सिंह के खेत के किनारे शाम साढ़े छह बजे पहुंचे तो देखा कि हरपाल सिंह अपने एक अन्य साथी के साथ उसके भाई चरन सिंह की धारदार हथियार से हत्या करके भाग रहे थे। उन्होंने रोकना चाहा तो दो हवाई फायर करते हुए वह भाग गये। पुलिस ने हरपाल और एक अन्य अज्ञात व्यक्ति के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। विवेचना के दौरान गवाहों के बयान दर्ज किये तो सच्चाई सामने आ गई। पुलिस ने वादी रघुवीर सिंह और उसके पुत्र मोनू उर्फ तेजपाल सिंह के विरुद्ध हत्या की धारा में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी।
इस मामले में अभियोजन ने 13 गवाह पेश किये थे, जिसमें से पांच गवाह मृतक की मां ओमवती उर्फ सोमवती, मृतक का सौतेला भाई धर्मपाल सिंह, हरपाल सिंह, अतर सिंह और नत्थू लाल अदालत में गवाही के दौरान अपने बयान से मुकर गये थे, जबकि विवेचना के दौरान गवाहों ने पुलिस को शपथ पत्र दिया था। मृतक के जीजा प्रवीर सिंह (चश्मदीद गवाह) और बहन सरोज अदालत में अपने बयान पर अडिग रहे। उनकी गवाही पिता-पुत्र की सजा का आधार बनी। आलाकत्ल तमंचा समेत 24 सबूत अभियोजन ने कोर्ट में पेश किए थे।