बरेली। केंद्रीय कारागार बरेली के एक कैदी द्वारा रंगदारी मांगने और उसका वीडियो वायरल होने पर जेल और पुलिस प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। एसपी सिटी ने केंद्रीय कारागार में छापा मारकर सभी बैरकों और अन्य स्थानों पर सघन तलाशी अभियान चलाया, लेकिन छापे में कोई आपत्तिजनक सामग्री मिलने से इन्कार किया है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, कत्ल के जुर्म में सजा काट रहे आसिफ नाम के एक कैदी ने कोर्ट में पेशी पर जाते वक्त न्यायिक अभिरक्षा में पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए फोन पर एक व्यक्ति से रंगदारी मांग ली। सजायाफ्ता कैदी द्वारा न्यायिक अभिरक्षा में रंगदारी मांगने का वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। एसएसपी के निर्देश पर सीओ सिटी ने केंद्रीय कारागार में भारी पुलिस बल के साथ छापा मारा। इस दौरान जेल की सभी बैरकों में पुलिस फोर्स की मदद से कई घंटे तक सघन तलाशी अभियान चलाया गया। तफ्तीश में कैदी ने कोर्ट जाते वक्त रंगदारी मांगने की बात कबूल भी कर ली है।
एसपी सिटी और जेल अधीक्षक के समक्ष कैदी के रंगदारी मांगने के कबूलनामे के बाद एक बार फिर यूपी की जेलों, खासकर कुख्यात अपराधियों का ठिकाना मानी जाने वाली केंद्रीय कारागार की फुलप्रूफ सुरक्षा व्यवस्था पर भी बड़े सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। केंद्रीय कारागार बरेली के जेल अधीक्षक/जेलर विजय राय से सोमवार को लोकतंत्र टुडे ने इस पूरे बेहद गंभीर मामले में फोन पर हकीकत जानने की कोशिश की तो उन्होंने यह तो बेहिचक स्वीकार किया कि मूलत: मध्य प्रदेश का निवासी आसिफ नाम का एक कैदी केंद्रीय कारागार बरेली की बैरक नंबर तीन में शाहजहांपुर जिले में अंजाम दिए गए कत्ल के एक केस में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
महाशिवरात्रि से एक दिन पहले कोर्ट में पेशी के लिए जेल पुलिस की कड़ी निगरानी में बाहर लाया गया था। इसी दौरान उसने पुलिस अफसरों-जवानों की अलर्टनेस को पूरी तरह उंगलियों पर नचाते हुए न सिर्फ फोन पर किसी से बात की, बल्कि ग़ज़ब का दुस्साहस दिखाते हुए उससे बाकायदा रंगदारी भी मांग ली। इस पूरे वाकये का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एसपी सिटी के नेतृत्व में कई घंटे तक भारी सशस्त्र पुलिस बल द्वारा सभी बैरकों में सघन तलाशी अभियान भी चलाने की बात मानी है।
बताया-कैदियों-बंदी रक्षकों के कब्जे से या कहीं छुपाकर रखी गई कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिलने का दावा भी किया है। जेल अधीक्षक श्री राय ने हालांकि इन अफवाहों को निराधार करार दिया है कि कैदी ने सेंट्रल जेल की बैरक नंबर 3 में बंद रहते हुए रंगदारी मांगी थी। जेल अधीक्षक ने छापे के दौरान कैदियों की बैरकों में कोई आपत्तिनक सामग्री नहीं मिलने का दावा भी किया है। हालांकि इस पूरे प्रकरण से जेलों में रसूखदार कैदियों की कारगुजारियों और काले कारनामों का भद्दा सच एक बार फिर बाहर आ गया है। सवाल यह भी है कि जेल के बाहर ही सही, पुलिस की कड़ी सुरक्षा को भेदते हुए कैदी ने मोबाइल फोन कहां से हासिल कर लिया? जाहिर है कि कहीं न कहीं तो कोई गड़बड़ी जरूर है।
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