बरेली। फर्जी दस्तावेजों के जरिये ठेके हथियाने के आरोपों में घिरे Anil Associates फर्म के कर्ताधर्ता अनिल गुप्ता अपनी गर्दन फंसती देख अफसरों और नेताओं की शरण में पहुंच गए हैं। वह 5 साल में एक के 500 करोड़ बनाने के राज को छुपाने के लिए शिकायत को दबाने की पुरजोर कोशिश में जुटे हैं। पहले भी वह अपने खिलाफ हुई शिकायतों को अपने धनबल के जरिये दबा चुके हैं, इस बार भी वह इसी कोशिश में जुटे हैं।
बरेली के कस्बा फरीदपुर में बिसलपुर रोड पर रहने वाले अनिल गुप्ता ने अपनी मां के नाम Anil Associates नामक फर्म का पंजीकरण करा रखा है। फर्म का सारा कामकाज अनिल गुप्ता ही देखते हैं। वर्ष 2019-20 से पहले यह फर्म जिला पंचायत में ठेकेदारी करती थी। उस वक्त फर्म का टर्नओवर करीब एक करोड़ रुपये के आसपास था। इसके बाद अनिल गुप्ता कानपुर में तैनात पीडब्ल्यूडी के एक बड़े इंजीनियर के संपर्क में आए तो इनकी गाड़ी चल पड़ी। बाद में यही इंजीनियर सेतु निगम में बड़े पद पर काबिज हुए तो अनिल गुप्ता पर ठेकों की बरसात होने लगी। कारोना काल में यह फर्म तेजी से फलफूलती रही।

पुलिस को साधने में लगा तहजीब से स्नातक कारिंदा
अनिल गुप्ता के गड़बड़झालों का पुलिंदा खुलने पर उनका एक कारिंदा पुलिस विभाग को साधने में जुट गया है। यह कारिंदा तहजीब की यूनिवर्सिटी से स्तानक है। पुलिस में उसके अच्छे संबंध हैं क्योंकि इस समय जांच पुलिस विभाग के पास है तो अनिल गुप्ता ने पुलिस को साधने के लिए उसे लगा दिया है। अब तक वह कई अफसरों के दफ्तर की परिक्रमा कर चुका है। अब बात किस हद तक बनी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
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विधायक ने 7 अप्रैल को प्रमुख सचिव गृह विभाग को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की। प्रमुख सचिव के निर्देश पर उप सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने 17 अप्रैल को आईजी डॉ. राकेश सिंह को पत्र भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए। 28 अप्रैल को आईजी ने सीओ क्राइम हर्ष मोदी को जांच सौंपकर दो दिन में आख्या देने के निर्देश दिए थे लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है।
सीओ क्राइम हर्ष मोदी ने बताया कि मामले में दोनों पक्षों से दस्तावेज मंगाए गए हैं। दस्तावेज मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं अनिल एसोसिएट के प्रोपराइटर अनिल गुप्ता का कहना है कि उन्हें किसी भी पत्र की जानकारी नहीं है। निविदा लेने के लिए उन्होंने सभी वैध दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। अगर बात कोलाघाट पुल की है तो वह उसमें सेकंड पार्टनर थे, इसमें उनके कोई भी दस्तावेज नहीं लगे हैं।

पहले भी अपने खिलाफ उठने वाली आवाजें दबा चुके हैं अनिल गुप्ता
यह पहली बार नहीं है जब शासन से अनिल गुप्ता के फर्जीवाड़ों की शिकायत की गई हो। इससे पहले भी अनिल एसोसिएट्स और सेतु निगम की शाहजहांपुर इकाई से संबंधित कई परियोजनाओं की शिकायत जिले के कई जनप्रतिनिधि कर चुके थे लेकिन जोड़तोड़ कर उन शिकायतों को वापस करा दिया गया। इस बार भी वह उसी तरह शिकायत वापस कराने की कोशिश में जुट गए हैं। मामले को दबाने के लिए कई नेता उनकी पैरवी में लग गए हैं।
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10 दिन में पांच पटलों से आगे बढ़ी, दो महीने सीओ के यहां लटकी
विधायक ने 7 अप्रैल को प्रमुख सचिव गृह विभाग को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की थी। 9 अप्रैल को प्रमुख सचिव ने इसे कार्रवाई के लिए आगे बढ़ा दिया। करीब आधा दर्जन पटलों से होते हुए उप सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह के माध्यम से 17 अप्रैल को यह शिकायत आईजी डॉ. राकेश सिंह के पास पहुंची। 28 अप्रैल को आईजी ने सीओ क्राइम हर्ष मोदी को जांच सौंपकर दो दिन में आख्या देने के निर्देश दिए लेकिन वह जांच अपने पास दबाए रहे, इसी बीच आईजी रिटायर हो गए। अब इस जांच को दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन ठंडे बस्ते में पड़ी है।

सेतु निगम की साइट पर पीडब्ल्यूडी के जेनरेटर पर साधी चुप्पी
सेतु निगम की साइट पर पीडब्ल्यूडी का जेनरेटर कहां से आया इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है। इस मामले पर सभी ने चुप्पी साध ली है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास खुद सामान की कमी है। बरेली में उन्होंने किसी भी फर्म को जेनरेटर किराये पर नहीं दिया है।
वहीं सेतु निगम के एक अधिकारी का कहना है कि पूर्वांचल में पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी की एक इकाई बंद हुई थी, जिसका सामान सेतु निगम को दिया गया था। अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब पीडब्ल्यूडी ही सामान की कमी है तो वह सेतु निगम सामान क्यों देगी। अंदरखाने चर्चा हैं कि यह कि यह जेनरेटर पीडब्ल्यूडी से सेतु निगम में आए बड़े इंजीनियर का गिफ्ट है।
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जब नेताजी के खिलाफ जाकर मुश्किल में फंसे
अनिल गुप्ता का स्थानीय राजनीति में भी अच्छा खासा दखल है। एक बार कुर्सी बदलने की आहट में वह सत्ताधारी दल के प्रतिनिधि के खिलाफ मैदान में चुनाव लड़ाने उतर पड़े। उन्हें पूरा भरोसा था कि इस बार बदलाव जरूर होगा, सो विरोधी को जोरशोर से चुनाव लड़ाया लेकिन उनका उम्मीदवार उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधि को शिकस्त नहीं दे पाया।
इस पर अनिल गुप्ता के होश उड़ गए, इसके बाद वह फिर जोड़तोड़ कर अपनी विसात बिछाने में जुट गए। विपक्षी को चुनाव लड़ाने की वजह से जनप्रतिनिधि भी उनसे खासे नाराज थे। हालांकि एक अन्य जनप्रतिनिधि ने किसी तरह नवनिर्वाचित जनप्रतिनिधि का गुस्सा शांत कर उनके बीच समझौता कराया लेकिन अनिल गुप्ता को शर्मिंदा काफी होना पड़ा।
Anil Associates पर ये लगे हैं आरोप
शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र में रहने वाले अक्षय शंखधार ने विधायक को पत्र सौंपकर अनिल एसोसिएट्स पर निविदा प्राप्त करने के लिए गलत प्रपत्रों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि फर्म सीए से मिलकर आठ साल से अपना टर्नओवर बढ़ाकर दिखा रही है।
फर्म के द्वारा फर्जी बैंक स्टेटमेंट, टर्नओवर और अनुभव दर्शाया गया, जिसके जरिये सरकार से ठेके हासिल कर लिए। इन्हीं प्रपत्रों के आधार पर फर्म ने रामगंगा नदी पर कोलाघाट पुल का ठेका लिया। उन्होंने अनिल एसोसिएट पर कागजों में हेराफेरी और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने की मांग की।