बरेली। Anil Associates इन दिनों फर्जी दस्तावेजों के जरिये ठेके हथियाने के आरोपों में घिरी हुई है। Anil Associates फर्म का टर्नओवर साल 2019-20 में महज एक करोड़ रुपये तक था लेकिन इसके बाद इस फर्म को ऐसे पंख लगे कि इसने महज पांच साल में 500 करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर दिया। इस दौरान कारोना काल में जब लोगों के काम धंधे प्रभावित हो रहे थे, उस समय भी यह Anil Associates तेजी से फलफूल रही थी।
बरेली के कस्बा फरीदपुर में स्टेशन रोड पर रहने वाले अनिल गुप्ता ने अपनी मां के नाम Anil Associates नामक फर्म का पंजीकरण करा रखा है। फर्म का सारा कामकाज अनिल गुप्ता ही देखते हैं। बताते हैं कि मां ने उनके नाम पावर ऑफ अटॉर्नी कर रखी है।
वर्ष 2019-20 से पहले यह फर्म जिला पंचायत में ठेकेदारी करती थी। उस वक्त फर्म का टर्नओवर करीब एक करोड़ रुपये के आसपास था। इसके बाद अनिल गुप्ता कानपुर में तैनात पीडब्ल्यूडी के एक बड़े इंजीनियर के संपर्क में आए तो इनकी गाड़ी चल पड़ी। बाद में यही इंजीनियर सेतु निगम में बड़े पद पर काबिज हुए तो अनिल गुप्ता की लॉटरी लग गई।
बड़े साहब की शागिर्दी में आते ही बरसने लगे नोट
पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर सेतु निगम में बड़े पद पर पहुंचे तो अनिल गुप्ता के पौ बारह हो गए। एक के बाद एक उन्हें सेतु निगम के ठेके मिलने लगे, चूंकि सिर पर बड़े साहब का हाथ था सो कोई रोकने टोकने वाला भी नहीं। इस दौरान कोरोना काल भी आया लेकिन इसका असर अनिल गुप्ता की कमाई पर नहीं पड़ा और वह दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करते गए। आज की तारीख में उनकी फर्म के पास 500 करोड़ से ज्यादा के काम हैं।

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Anil Associates में साइलेंट पार्टनर हैं सेतु निगम के बड़े अधिकारी
अनिल एसोसिएट्स के पांच साल में 1 से 500 करोड़ तक का सफर तय करने में सेतु निगम के कुछ बड़े अधिकारियों का हाथ है। उनका न सिर्फ फर्म में मोटा पैसा लगा है, बल्कि वे इसमें साइलेंट पार्टनर भी हैं। यही वजह है कि फर्म की तमाम गलतियों पर अधिकारी पर्दा डाल देते हैं और कोई कार्रवाई नहीं करते।
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सवाल : सेतु निगम की साइट पर कहां से आया पीडब्ल्यूडी का जेनरेटर

ओवरब्रिज निर्माण में ठेकेदार साइट पर शटरिंग से लेकर जेनरेटर तक सेतु निगम का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन साठगांठ के चलते उससे नाममात्र का किराया लिया जा रहा है। यही नहीं फरीदपुर साइट पर ठेकेदार निर्माण कार्य में पीडब्लूडी का जेनरेटर इस्तेमाल कर रहा है।
यह जेनरेटर कहां से आया यह बड़ा सवाल बना हुआ है क्योंकि पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि वे सामान किराये पर नहीं देते हैं और बरेली में उन्होंने कोई जेनरेटर किसी फर्म को किराये पर नहीं दिया है। अब सवाल यह है कि सेतु निगम की साइट पर पीडब्ल्यूडी का जेनरेटर आया कहां से। चर्चा हैं कि पीडब्ल्यूडी से सेतु निगम में आए बड़े इंजीनियर ने यह जेनरेटर ठेकेदार को गिफ्ट में दिया था।
जांच में Anil Associates का सीए भी आ सकते है लपेटे में
शासन के निर्देश पर आईजी डॉ. राकेश सिंह ने सीओ क्राइम हर्ष मोदी को जांच सौंपकर दो दिन में रिपोर्ट मांगी थी लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी सीओ ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। इस बीच आईजी डॉ. राकेश सिंह रिटायर भी हो गए तो कोई पूछने वाला भी नहीं बचा कि जांच का क्या हुआ।
अब मामला दोबारा उठने पर अगर जांच होती है तो अनिल गुप्ता के साथ ही उनका सीए भी लपेटे में आ सकता है। हेराफेरी में इस्तेमाल किया गया उसका सीए सर्टिफिकेट और यूडीएआईएन नंबर से जारी दस्तावेज उसके लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।
यह है मामला
शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र में रहने वाले अक्षय शंखधार ने विधायक को पत्र सौंपकर अनिल एसोसिएट्स पर निविदा प्राप्त करने के लिए गलत प्रपत्रों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि फर्म सीए से मिलकर आठ साल से अपना टर्नओवर बढ़ाकर दिखा रही है।
फर्म के द्वारा फर्जी बैंक स्टेटमेंट, टर्नओवर और अनुभव दर्शाया गया, जिसके जरिये सरकार से ठेके हासिल कर लिए। इन्हीं प्रपत्रों के आधार पर फर्म ने रामगंगा नदी पर कोलाघाट पुल का ठेका लिया। उन्होंने अनिल एसोसिएट पर कागजों में हेराफेरी और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने की मांग की।