Saturday, July 5, 2025

Anil Associate ने फर्जी दस्तावेज के जरिये हथियाए करोड़ों के ठेके, सीओ को 2 दिन में पूरी करनी थी जांच 2 महीने से हैं लटकाए

लोकतंत्र टुडे संवाददाता

बरेली। फरीदपुर और बिलपुर रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण करा रही Anil Associate पर हेराफेरी कर फर्जी कागजात तैयार कराकर करोड़ों रुपये के ठेके हथियाने का आरोप लगा है। जलालाबाद विधानसभा से भाजपा विधायक हरिप्रकाश वर्मा ने एक व्यक्ति की शिकायत पर प्रमुख सचिव को पत्र भेजकर कार्रवाई को लिखा था। इस पर शासन ने जांच बैठा दी है। मामले की जांच सीओ क्राइम हर्ष मोदी को सौंपी गई है। हालांकि दो महीने पहले सौंपी गई जांच अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

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शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र में रहने वाले अक्षय शंखधार ने विधायक को पत्र सौंपकर बरेली की Anil Associate फर्म पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अक्षय शंखधार के मुताबिक Anil Associate ने निविदा प्राप्त करने के लिए गलत प्रपत्रों को रजिस्टर कराया है। फर्म सीए से मिलकर पांच साल से अपना टर्नओवर बढ़ाकर दिखा रही है।

Anil Associate Faridpur Bilpur Overbridge 1
सर्विस लेन निर्माण के लिए डाली जा रही बजरी।

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Anil Associate फर्म के द्वारा फर्जी बैंक स्टेटमेंट, टर्नओवर और अनुभव दर्शाया गया, जिसके जरिये सरकार से ठेके हासिल कर लिए। इन्हीं प्रपत्रों के आधार पर फर्म ने रामगंगा नदी पर कोलाघाट पुल का ठेका लिया। उन्होंने Anil Associate पर कागजों में हेराफेरी और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच सीबीसीआईडी से कराने की मांग की।

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Anil Associate Faridpur Bilpur Overbridge

आईजी ने सीओ से दो दिन में मांगी थी Anil Associate की जांच रिपोर्ट

विधायक ने 7 अप्रैल को प्रमुख सचिव गृह विभाग को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की। प्रमुख सचिव के निर्देश पर उप सचिव सत्येंद्र प्रताप सिंह ने 17 अप्रैल को आईजी डॉ. राकेश सिंह को पत्र भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए। 28 अप्रैल को आईजी ने सीओ क्राइम हर्ष मोदी को जांच सौंपकर दो दिन में आख्या देने के निर्देश दिए थे लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है।

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सीओ क्राइम हर्ष मोदी ने बताया कि मामले में दोनों पक्षों से दस्तावेज मंगाए गए हैं। दस्तावेज मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं Anil Associate के प्रोपराइटर अनिल गुप्ता का कहना है कि उन्हें किसी भी पत्र की जानकारी नहीं है। निविदा लेने के लिए उन्होंने सभी वैध दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। अगर बात कोलाघाट पुल की है तो वह उसमें सेकंड पार्टनर थे, इसमें उनके कोई भी दस्तावेज नहीं लगे हैं।

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