रामपुर। लोकतंत्र टुडे के खुलासे के बाद सामने आया कि सरकारी वाहनों के लिए आरक्षित बीजी सीरीज प्राइवेट वाहनों पर जारी हो रही थी। मीडिया रिपोर्ट के तुरंत बाद शासन ने मामले का संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। प्रारंभिक जांच धीमी थी, लेकिन शासन की सख्ती के बाद दो ही दिनों में पूरी रिपोर्ट तैयार हो गई।

जांच में मिली मिलीभगत
जांच में एआरटीओ राजेश कुमार श्रीवास्तव, डीवीए रामेश्वर नाथ द्विवेदी और दो पंजीकरण लिपिकों को दोषी पाया गया। उपायुक्त परिवहन कमल गुप्ता ने कहा कि यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित मिलीभगत का मामला है। डीवीए ने बताया कि उन्होंने नियम विरुद्ध नंबर जारी होने की जानकारी दी थी, लेकिन एआरटीओ ने इसे छुपाने की हिदायत दी।
निजी हस्तक्षेप और पैसों की गड़बड़ी
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि बीएच सीरीज शुरू करते समय एआरटीओ ने डीवीए का लैपटॉप लेकर निजी युवक अकरम को काम सौंपा। चार महीने तक बीजी सीरीज जारी रही और इसमें पैसों का खेल भी सामने आया।
शासन की कड़ी कार्रवाई
शासन ने एआरटीओ राजेश श्रीवास्तव के निलंबन और डीवीए रामेश्वर नाथ की सेवाएं समाप्त करने के निर्देश दिए। मुरादाबाद आरटीओ प्रशासन को दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने के भी निर्देश मिले।
बीजी सीरीज वाहनों पर रोक और नई व्यवस्था
बीजी सीरीज की गाड़ियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया। नई सीरीज साठ दिन में जारी होगी, अंतिम चार अंक वही रहेंगे। फास्टैग सेवा भी निरस्त कर दी गई है।
सार्वजनिक सुरक्षा पर प्रभाव
बीजी सीरीज का प्राइवेट वाहनों पर जारी होना सार्वजनिक सुरक्षा और टोल राजस्व के लिए गंभीर खतरा था। यह मामला परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार और मिलीभगत की गहरी जड़ों को उजागर करता है।