Sunday, July 6, 2025

Power Corporation के बड़े साहब का अजीब शौक, पूरा महकमा शॉक

Power Corporation News : करंट वाले विभाग के एक बड़े साहब चरम सुख प्राप्ति के फेर में पूरे महकमे की फजीहत करा रहे हैं। हालांकि इस काम के लिए उन्होंने एक सेवक को भी रख रखा है, जिसे वह मासिक वेतन भी देते हैं। उसके रहने खाने का पूरा खर्च भी साहब ही उठाते हैं मगर यह सेवक अब साहब से परेशान हो चुका है और साहब से छुटकारा चाहता है।

दरअसल सेवक उतने करंट की सप्लाई नहीं कर पा रहा, जितनी साहब को जरुरत है क्योंकि उसका जनरेटर उतना करंट नहीं बना पा रहा। बार-बार ओवरलोड होने की वजह से आपूर्ति बाधित हो रही है, जो साहब का पंसद नहीं है। साहब निर्बाध आपूर्ति के तलबगार हैं। इसी दबाव में सेवक कई बार हंगामा कर चुका है। इसी के चलते साहब को कई ठिकाने तक बदलने पड़ गए हैं।

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करंट वाले विभाग में तैनात एक साहब ऐसे भी हैं, जिनकी डिमांड की केवी रोज बढ़ती जा रही है लेकिन सप्लाई घटती जा रही है। इसकी अपूर्ति के लिए उन्होंने 18 हजार रुपये निजी वेतन से खर्च करके एक जनरेटर खरीदा मगर वह भी साहब की डिमांड के आगे ओवरलोड का शिकार हो गया।

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यह साहब अपने ही महकमे के एक ओहदेदार के साथ किराये के मकान में रहते थे। उनके साथ उनका सेवक भी रहता था। साहब को नवाबी शौक था। बड़े साहब का सेवक एक दिन रोजाना बढ़ती उनकी डिमांड से झल्ला गया और हंगामा करने लगा। क्योंकि साहब की डिमांड के अनुरुप वह सप्लाई नहीं दे पा रहा था और ओवरलोड महसूस कर रहा था।

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मगर साहब उस पर सप्लाई देने का दबाव बना रहे थे। लगातार आवेरलोड होने की वजह से वह फुंक गया। जब उसका सब्र जवाब दे गया तो उसने जमकर हंगामा कर दिया। यह बता मकान मालिक का पता चली तो उन्होंने साहब को अल्टीमेटम दे दिया कि या तो यह सेवक इस मकान में रहेगा या साहब।

Power Corporation वाले साहब ने सेवक के प्यार में छोड़ा घर

साहब को सेवक से प्यारा था इसलिए उन्होंने मकान छोड़ना बेहतर समझा। सो सामान लेकर कमरा खाली करके दूसरी जगह शिफ्ट हो गए। मकान खाली करने के बाद साहब ने अपने अधिनस्थ के यहां ठिकाना बना लिया जहां वह बिना किसी रोकटोक के आपूिर्त ले सकें लेकिन वहां भी विवाद खड़ा हो गया। क्योंकि साहब की डिमांड बढ़ती ही जा रही थी।

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सेवक अपूर्ति करने में असमर्थ था। सेवक ने न सिर्फ अधीनस्थ के ठिकाने पर हंगामा किया बल्कि साहब की दफ्तर तक जाकर हंगामा मचा दिया। इसके बाद से सेवक और साहब के चेहरे की रौनक गायब है। वैसे तो कई देशों में इस कृत्य को मान्यता मिल चुकी है लेकिन भारत में अब भी इस कृत्य को बुरा ही माना जाता है।

फिलहाल तो साहब की पसंद उसी सेवक पर टिकी है। लेकिन सेवक के हंगामा करने के बाद से यह मामला पूरे विभाग में चर्चा का विषय बन गया है। विभागीय कर्मचारी तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। उच्च अधिकारियाें तक भी यह मामला पहुंच चुका है लेकिन बात साहब के निजी जीवन की है वह बंद कमरे में क्या करें इससे किसी को क्या लेना-देना।

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