Thursday, April 17, 2025

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सुप्रीम कोर्ट ने आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को किया तलब, जानें मामला

नई दिल्ली। आयुर्वेदिक कंपनी पतंजलि आयुर्वेद पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की गाज़ गिरी है। अस्थमा, डायबिटीज, कोरोना और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के गारंटेड इलाज संबंधी भ्रामक विज्ञापनों को लेकर जारी किए गए अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और  योग गुरु बाबा रामदेव को अगली तारीख पर व्यक्तिगत रूप से तलब होने के आदेश दिए हैं।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की दो सदस्यीय न्यायिक पीठ ने कंपनी और आचार्य बालकृष्ण, योग गुरु बाबा रामदेव को पूर्व में जारी नोटिसों पर जवाब दाखिल करने में विफल रहने पर कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने योगगुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को उसके उत्पादों के बारे में न्यायालय में दिए गए पूर्व के आश्वासनों के उल्लंघन और दवाओं के असर से जुड़े गलत दावों के मामले में कड़ी फटकार लगाई थी।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने याचिका में पतंजलि के उस दावे पर गंभीर ऐतराज जताया था कि योग अस्थमा और डायबिटीज को ‘पूरी तरह से ठीक’ कर सकता है।

पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर केंद्र से परामर्श और गाइडलाइंस जारी करने का आदेश दिया था। पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके अधिकारियों को प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अन्य दवा प्रणालियों के बारे में गलतबयानी नहीं करने की सख्त हिदायत भी दी थी।

कंपनी इससे पहले अदालत में हलफनामा देकर भ्रामक दावे नहीं करने की बात कह चुकी है। पिछले साल 21 नवंबर को कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने शीर्ष अदालत में पेश किए हलफनामे में कहा था कि उत्पादों के औषधीय असर का दावा करने वाला कोई भी अनौपचारिक बयान या किसी भी दवा प्रणाली के खिलाफ कोई बयान या विज्ञापन पतंजलि कंपनी द्वारा जारी नहीं किया जाएगा।

शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें रामदेव पर टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं को बदनाम करने का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है।

क्या है आईएमए का आरोप?

आईएमए का आरोप है कि पतंजलि आयुर्वेद कंपनी ने वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण काल में कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ एक बदनाम करने वाला कैंपेन चलाया था। इस पर अदालत ने चेतावनी दी थी कि पतंजलि आयुर्वेद की ओर से झूठे और भ्रामक विज्ञापन तुरंत बंद होने चाहिए।

खास तरह की बीमारियों को ठीक करने के झूठे दावे करने वाले प्रत्येक उत्पाद के लिए एक करोड़ रुपये तक के जुर्माना ठोंकने के संकेत भी दिए। कोविड-19 महामारी के दौरान एलोपैथिक फार्मास्यूटिकल्स पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए आईएमए की ओर से दायर आपराधिक मामलों का सामना करने वाले रामदेव ने मामलों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

अदालत ने केंद्र और आईएमए को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 15 मार्च मुकर्रर की। रामदेव पर आईपीसी की धारा 188, 269 और 504 के तहत सोशल मीडिया पर चिकित्सा बिरादरी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है।

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