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जल संरक्षण के महारथी ने दिया बूंद-बूंद सिंचाई, खुशहाल भविष्य का महामंत्र

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Sanjeev Sharma

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जल संरक्षण के महारथी ने दिया बूंद-बूंद सिंचाई, खुशहाल भविष्य का महामंत्र

जालौन। प्रदेश शासन में विशेष सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन, ग्रेटर शारदा सहायक समादेश परिक्षेत्र के चेयरमैन/प्रशासक डाॅ. हीरालाल ने किसानों को अपने लिए कमजोर-छोटा मानने की संकुचित सोच से बाहर निकलने की सलाह दी है। उन्होंने खेती-किसानी के उन्नत-वैज्ञानिक तरीके अपनाकर कम पानी में अधिक सिंचाई, कम लागत और अधिक कमाई के फार्मूले के जरिए सरकार के भरोसे बैठे रहने के बजाय अपने बलबूते धनवान बनने का श्योर शॉट मंत्र भी दिया है।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और प्रेरक संस्मरणों पर आधारित बेस्ट सेलर पुस्तक ‘डायनैमिक डीएम‘ के लेखक डाॅ. हीरालाल बुधवार को जालौन में एक अखबार द्वारा प्रायोजित यशस्वी किसान सम्मान समारोह में मुख्य वक्ता की हैसियत से किसानों को संबोधित कर रहे थे।

‘डायनैमिक डीएम’ पुस्तक का हवाला देते हुए उन्होंने सभागार में कई जिलों से आए सैकड़ों किसानों से रूबरू होते हुए उन्हें बताया कि यह किताब उन्होंने धन कमाने, खुद को बड़ा लेखक साबित करने या वाहवाही लूटने के लिए नहीं, बल्कि आईएएस अफसर होने के साथ ही किसान का बेटा होने के नाते अन्नदाता किसानों के दिल-दिमाग में समृद्ध-संपन्न बनने की भूख और होड़ जगाने के बड़े मकसद से लिखी है।

किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम में जुटे वरिष्ठ आईएएस डाॅ. हीरालाल ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में आगे बताया कि बांदा डीएम के अपने कार्यकाल में उन्होंने किसानों को सिंचाई में पानी की बर्बादी रोकने और बूंद-बूंद सिंचाई तकनीक के इस्तेमाल से कम लागत में अधिक पैदावार लेने के लिए प्रोत्साहित किया तो परिणाम चौंकाने वाले आए।

किसानों और प्रशासन के समन्वित प्रयासों से पानी की भयंकर किल्लत से जूझ रहे बांदा जिले के भूगर्भ जल स्तर को न सिर्फ 1.34 मीटर ऊपर लाने में कामयाबी मिली, बल्कि साल में दूसरी फसल लेकर जनपद की औसत कृषि उपज में भी 18.5 फीसदी वार्षिक की बड़ी बढ़ोतरी भी दर्ज की गई।

डाॅ. हीरालाल ने समझाया कि जनसंख्या में तीव्र वृद्धि और जल, जमीन सीमित मात्रा में होने की वास्तविकता को समझते हुए अन्नदाता किसानों को खेती के पुराने परंपरागत ढर्रे छोड़ने ही होंगे और उन्नत बीज, जैविक खाद, पंचगव्य कीटनाशकों और बूंद-बूंद सिंचाई के महत्व को समझते हुए वैज्ञानिक ढंग से खेती की नई उन्नत विधियां अपनानी ही पड़ेंगी। तभी हम कम जमीन और कम लागत में अधिक पैदावार लेकर अपने बलबूते धनी-समृद्ध और आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

उन्होंने समझाया कि पौधों की उचित बढ़वार के लिए उनकी जड़ों को पानी की जरूरत होती है लेकिन नासमझी की वजह से किसान बेवजह धन और समय फूंककर खेतों को पानी से लबालब भर देते हैं। चौबीसों घ॔टे बेवजह धड़धड़ाते हजारों सरकारी-प्राइवेट ट्यूबवेलों और पंपिंगसेटों की वजह से कीमती भूजल फालतू में बहकर बर्बाद होता रहता है। अनाप-शनाप दोहन की वजह से ही उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में भूगर्भ जलस्तर खतरनाक हद तक नीचे जा चुका है और सिंचाई के लिए पानी और पेयजल का भयंकर संकट झेलना पड़ रहा है।

अपनी खुशहाल जिंदगी और भावी पीढ़ियों के सुरक्षित  भविष्य के लिए हमें जमीन, जंगल और पानी को बचाना ही होगा। डाॅ. हीरालाल ने हजारों साल तक जमीन में दबी रहकर भी नहीं गलने वाली प्लास्टिक को मनुष्य की सबसे बड़ी दुश्मन बताते हुए पर्यावरण को बचाने के लिए पाॅलीथिन और प्लास्टिक के उपयोग को तुरंत बंद करने की भी नसीहत दी।

समारोह में कई जनप्रतिनिधियों, विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और बहुत से प्रगतिशील किसानों ने भी अपने अनुभव मंच से साझा किए। समारोह में मंचासीन अतिथियों द्वारा कई दर्जन प्रगतिशील किसानों को प्रशस्तिपत्र भेंटकर और फूलमालाएं पहनाकर, उत्तरीय उढ़ाकर सम्मानित भी किया गया।

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Author: Sanjeev Sharma

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