Tuesday, April 15, 2025

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अधृत हाॅस्पिटल के डाॅ. निशान्त का कारनामा, कर दिखाया सफल बोन ट्रांसप्लांट

बरेलीचिकित्सीय पेशा सिर्फ धन कमाने का जरिया ही नहीं, बल्कि समाजसेवा और मानव सेवा का भी सबसे बड़ा और अत्यंत पवित्र माध्यम है। अक्सर लगते रहे तमाम आरोपों और आलोचनाओं के बावजूद आज भी अधिकांश लोग डाॅक्टरों को धरती का भगवान ही मानते हैं। इस तथ्य को साबित किया है शहर में बदायूं रोड पर लाल फाटक आईटीबीपी फैमिली गेट के पास स्थित अधृत निशांत अदिति हाॅस्पिटल के संचालक प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डाॅ. निशान्त कुमार ने।

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अधृत अस्पताल में पिछले कुछ समय से इलाज करवा रहे बदायूं जिले के गांव चंजरी निवासी निहायत ही गरीब राजेश कुमार डाॅ. निशान्त की काबिलियत और सहृदयता की तारीफ करते थकते नहीं हैं। राजेश बताते हैं कि भयंकर हादसे में उनके पैर की हड्डियां बुरी तरह टूट गई थीं। लेकिन डाॅक्टर निशान्त के बहुत ही उम्दा और किफायती इलाज की बदौलत न सिर्फ हड्डियां जुड़ गई हैं, बल्कि वह अपने पैर पर बगैर सहारे के खड़ा भी हो पा रहा है।

इस बाबत डाॅ. निशान्त ने बताया कि एक्सीडेंट में राजेश के पैरों की हड्डियों के साथ ही मांसपेशियां भी पूरी तरह डैमेज हो गई थीं। हमने मरीज की आर्थिक स्थिति दयनीय होने के बावजूद मानवीय धर्म और चिकित्सीय कर्म को ध्यान में रखते हुए नष्ट हो चुकी सभी हड्डियों और मांसपेशियों को जटिल आपरेशन में बाहर निकाल दिया और स्वस्थ मांसपेशियां आने के बाद दूसरे बड़े आपरेशन से नई हड्डियों को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट (प्रत्यारोपण) भी कर दिया। सिर्फ इतना ही नहीं, नई प्रत्यारोपित हड्डियों को अपनी जगह पर स्थिर रखने के लिए उनकी प्लेटिंग की और प्लास्टिक सर्जरी। अत्याधुनिक तकनीक को अपनाते हुए मरीज राजेश को अपने पैरों पर खड़ा होने लायक बना दिया है।
डाॅ. निशान्त बताते हैं कि अब अगले कुछ दिनों में दूसरे चरण की बोन ड्राफ्टिंग की जाएगी। उसके बाद राजेश बगैर किसी सहारे के अपने पैरों पर चल-फिर सकेगा। राजेश और उसका पूरा परिवार डाॅ. निशान्त द्वारा किए गए सफल बोन ट्रांसप्लांट से बहुत खुश है। दिल्ली-लखनऊ के स्तर का अत्याधुनिक इलाज बेहद किफायती और मुनासिब खर्चे में अपने घर के पास ही मिलने पर सब डाॅ. निशान्त को दिन-रात दुआएं देते थक नहीं रहे हैं।  डाॅ. निशान्त कहते हैं कि हम डाक्टर भी आखिरकार इंसान ही तो हैं। मरीजों को तकलीफों से छुटकारा दिलाकर उनके चेहरों पर आशीष भरी मुस्कान लौटाने से जो खुशी मिलती है, उसे रुपये-पैसे में तोलना या अल्फाज में बयां कर पाना मुमकिन नहीं है। कोशिश है कि इसी मिशनरी सोच से भविष्य में भी हमारे हाथों से मरीजों की सेवा होती रहे।

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