बरेली। सरकारी सब्सिडी में करोड़ो के घपले होते हैं। उनकी तरफ कोई देखने वाला नहीं है। फिर अगर उनकी किसी तरह जांच हो जाए तो उसमें कैसे सबको दोषमुक्त करा दिया जाता है, ये कोई कृषि विभाग के अफसर और बाबुओं से सीखे।
किसानों की सब्सिडी की रकम जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र चौधरी समेत कई कर्मचारियों के खातों में ऑनलाइन भेजने की जांच डीएम के आदेश पर सीडीओ की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने की। उसमें कृषि विभाग के अफसर और बाबुओं को दोषमुक्त कर दिया गया। मगर, कैसे। ये बात कृषि विभाग के ही एक कर्मचारी का ऑडियो वायरल होने के बाद पता चली। ऑडियो में कृषि विभाग के कर्मचारी ने खुद ही बताया कि विभाग के दो भ्रष्ट बाबुओं ने जॉच को मैनेज करने के लिए गोदाम प्रभारियों से 20-20 हज़ार रुपए इकट्ठा कराए।

उसमें एक तीसरे बाबू की मदद भी ली गई, जो विकास भवन में तैनात है। बाकी रकम अधिकारियों ने अपने पास से इकट्ठा की। कुल मिलाकर पांच लाख रुपए जांच कमेटी को दिए गए। उसके बाद तो जांच कमेटी को कृषि विभाग के करोड़ों रूपए के घोटाले में सब कुछ नियमानुसार लगा। सीडीओ की ओर से सारे काम नियमानुसार होने की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई।
साल 2023 में कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं में घपले से संबंधित शिकायत रजिस्टर्ड डाक से डीएम रविंद्र कुमार को भेजी गई थी। डीएम ने उस शिकायत का संज्ञान लेकर मामले की जांच सीडीओ जग प्रवेश को सौंपी थी। सीडीओ की ओर से डीडीओ दिनेश यादव को जांच दी गई। डीडीओ की अध्यक्षता में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डीआरडीए (पीडी) तेजवंत सिंह और ऑडिटर रामआसरे गंगवार ने जांच की खानापूरी की। उसमें सब कुछ ठीक और नियमानुसार पाया गया।
घोटाला करने वाले बाबू और अफसरों का खुलकर समर्थन
सच बात यह है कि तीन सदस्यीय कमेटी ने किसी भी तथ्य की न तो मौके पर जाकर पुष्टि की और न शिकायतकर्ता का पक्ष लिया। यह जांच डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को ही भेज दी, जबकि घपला भी उनके अधीनस्थ बाबुओं शिवकुमार और गिरीशचंद्र ने ही किया था। डिप्टी डायरेक्टर कृषि ने दोनो भ्रष्टाचार के आरोपी बाबुओं को दोषमुक्त करार देते हुए आख्या भेज दी। यानी कि घोटालेबाज अफसर और बाबुओं का खुलकर समर्थन किया गया।
अब कृषि विभाग के एक कर्मचारी का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उसमें कर्मचारी को यह कहते हुए साफ सुना जा सकता है कि इस जांच में जिला कृषि अधिकारी समेत डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह के कार्यालय के दो बाबू समेत कई गोदाम इंचार्ज स्पष्ट रूप से फंस रहे थे। इन सबको बचाने के लिए जांच कमेटी ने घपलेबाजों से पांच लाख रुपए लिए। यह रकम गोदाम इंचार्ज और कृषि विभाग के अफसरों और कर्मचारियों ने इकट्ठा करके दी। उसके बाद तो जांच में सभी घोटालेबाज दोषमुक्त करार दिए गए।
माल मिला तो कमेटी ने घोटाले से जुड़े तथ्य झुठलाए
सीडीओ जग प्रवेश को अध्यक्षता में गठित कमेटी ने बिना भौतिक सत्यापन किए कागजों पर ही जांच निपटा दी। कृषि विभाग के अफसरों और बाबुओं के पक्ष में भेजी गई एक पक्षीय आख्या में उन बिन्दुओं को शामिल नहीं किया गया, जिसमें किसानों के प्रचार प्रसार की धनराशि जिला कृषि अधिकारी समेत बीज गोदाम प्रभारी और कुछ बाबुओं के स्वयं के खाते मे फर्जी बिल लगाकर भुगतान करा लिया गया जबकि इन सबका ऑनलाइन रिकार्ड मौजूद हैं।
अफसरों ने अपने खाते में ट्रांसफर करा ली सब्सिडी
डीएम को भेजी शिकायत में यह बताया गया था कि वर्ष 2021-2022 में किसानों के हित मे प्रचार प्रसार की धनराशि जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र चौधरी समेत बीज गोदाम इंचार्ज और कृषि विभाग के दर्जन भर कर्मचारियों ने अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर ली थी। उसके अभिलेख यूटीआर नंबर सहित शिकायती पत्र के साथ संलग्न थे। मगर, जांच में इन तथ्यों को नजरंदाज कर दिया गया।
मुझे जो भी तथ्य मिले, उनके आधार पर हमने जांच की। उस जांच में सब कुछ नियमानुसार और सही पाया गया। हमने जांच रिपोर्ट डीएम को भेज दी है।
तेजवंत सिंह, पीडी डीआर डीए
एवं सदस्य जांच कमेटी