Monday, July 21, 2025

बाबूराज के आगे पूर्वोत्तर रेलवे मंडल इज्जतनगर मौन

बरेली। पूर्वोत्तर रेलवे मंडल इज्जतनगर में इंजीनियरिंग अनुभाग में काम कर रहे गैंगमैन संतोष और दिनेश के बाद अब एक के बाद एक और नए मामले खुलकर सामने आ रहे हैं। जानकारों की माने तो इंजीनियरिंग अनुभाग में करीब आधा दर्जन से अधिक बाबू और ओएस तैनात हैं लेकिन इनमें से अधिकतर बाबुओं के पास गिनती भर के काम दिए गए हैं बाकी समय वह खाली बैठे रहते हैं। दो तीन बाबुओं को पिछले लंबे समय से मलाईदार सीटें दी गईं हैं।

बीते कई साल से कुछ बाबुओं को सैकड़ों करोड़ों रुपए वार्षिक बजट वाले प्लान दे रखें हैं। जिसके चलते उन बाबुओं के बारे न्यारे चल रहे हैं। उन्हें कमाऊ पटल मिलने का आलम यह है जैसे ही कोई बाबू रिटायर होता है उसका सारा मलाईदार काम दो तीन बाबूओं में ही बंट जाता है। बाकी बाबु अच्छा काम देखते ही रह जाते हैं। कुछ बाबुओं की जुगलबंदी इतनी अच्छी है कि वह अधिकारियों से सेटिंग करके एक दूसरे पर अपना प्लान आपस में चार्ज बदलवा लेते हैं।

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दो बाबुओं की जोड़ी किसी नए बाबू को कोई अच्छा काम नहीं मिलने देती हैं। करोड़ों रुपए के वार्षिक बजट वाले प्लानों को देखने वाले बाबू सेंसिटिव सीटों पर पिछले कई सालों से जमे हैं। बताया जाता है की इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े अफसर भी यही चाहते हैं कि इस खेल में नया बाबू शामिल हुआ तो शायद उनके लिए इतना बेहतर कमाई के लिए इतना मुफीद साबित नहीं होगा। इसलिए वह भी नए बाबू को चार्ज देने में परहेज करते हैं।

डीआरएम कार्यालय में इंजीनियरिंग अनुभाग में काम करने वाले गैंगमैन संतोष और दिनेश के बारे में कहा जाता है कि वह आफिस के कंप्यूटर पर ठेकेदारों की डीएससी लगाकर टेंडर डालने समेत ठेकेदारों के तमाम काम करते थे जिसके एवज में वह मोटा पैसा भी बसूलते थे। वही गैंगमैन दिनेश ठेकेदारों की पीबीसी की फाइलें भी आफिस में बैठकर बनाता था इस मामले में विजिलेंस ने आफिस के कम्प्यूटर के रिकॉर्ड खंगालने के साथ ही महत्वपूर्ण रिकॉर्ड अपने साथ ले गई।

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इस घटना के बाद मंडल मुख्यालय में भूचाल आ गया। बताया जाता है कि गोरखपुर मुख्यालय से हुई अफसरों की किरकिरी के बाद अब इंजीनियरिंग अनुभाग में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए जा रहे हैं जिससे अफसरों को अपने बाबुओं की कारगुजारियों का समय रहते पता चल सके। रेलवे बोर्ड के आदेश कि गैंगमैन ऑफिसों में काम न करें उसके बाद भी इंजीनियरिंग अनुभाग में दिनेश और संतोष गैंगमैन होने के बाद भी बाबुओं से भी अधिक रसूख के साथ काम करते थे।

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