गणेश “पथिक”

मीरगंज। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले जयदीप सिंह बरार ने बहेड़ी तहसील के खमरिया गांव के पश्चिमी में बहगुल नदी की मुख्य धारा को रोककर मंगलवार को कच्चा बांध बनवा दिया। उन्होंने योगी सरकार से जनहित में पक्का बांध बनवाए जाने की मांग की है। इस बांध से दर्जनों गांव के किसानों को सिचाई का पानी मिलेगा।
किसानों की जिस समस्या को सरकार नहीं सुन पाई उस समस्या को दूर करने का बीड़ा कई साल से बुजुर्ग किसान नेता विधायक और एमएलसी रहे जयदीप सिंह बरार निभाते चले आ रहे हैं। सिचाई की समस्या को लेकर बहेड़ी के पश्चिम इलाके के किसान परेशान रहते हैं। मंहगे डीजल ने किसानों की कमर तोड़ दी है। सिचाई न हाने की वजह से किसानों को उपज में भारी नुकसान उठाना पड़ता था। किसान नदी पर बांध बनवाने की कईवार जनप्रतिनिधियों से मांग कर थक चुके हैं। लेकिन किसानों को हमेशा निराशा ही हाथ लगी। इसी दौरान किसानों के मसीहा बनकर जयदीप सिंह बरार किसानों के बीच पहंचे और जनसहयोग से कच्चा बांध बनाने की ठान ली। कई साल से जयदीप सिंह बरार के नेतृत्व में किसान कच्चा बाध्ं बनाते चले आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि बांध बनने से उनके खेतों में फसलें लहरा रही हैं।
दर्जनों गांव के किसानों ने उठाया फावड़ा
मन में विश्वास और पक्का इरादा हो तो कठिन से कठिन डगर भी आसान हो जाती है। जयदीप सिंह बरार के साथ भी यही देखने को मिला। उम्र भले ही बढ़ गई हो लेकिन जोश और जज्वा आज भी कायम है। बताते है कि आज से करीब 8 साल पहले जयदीप सिंह बरार ने टेहरा और खमरिया नदी पर बांध बनाने का निर्णय लिया था। शुरूआत में दो चार किसान ही उनके साथ थे, लेकिन धीरे-धीरे कारवां बनता गया। पहले टेहरा नदी पर बांध का निर्माण किया उसके बाद खमरिया नदी पर उसके बाद से ये सिलसिला आज भी जारी है। जयदीप सिंह बरार हर साल किसानों के सहयोग से खमरिया नदी पर बांध का निर्माण जन सहयोग से कर रहे हैं।
बांध बनने से 150 गांवों को होगा लाभ
बांध बनने के बाद खमरिया समेत 150 गांवों की हजारों हैक्टेयर कृषि भूमि को कुल्ली-बल्ली, ढकिया आदि नहरों और गूलों के जरिए नदी का साफ पानी मिलेगा, जिससे किसानों की फसलें फिर लहराएंगीं।
बरसात के मौसम में कट जाता है बांध
कच्चा बांध हर साल बरसात के मौसम में भारी बारिश होने और पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के बांधों से छोड़े गए पानी की वजह से कट जाता है और अगले साल उतनी ही मेहनत और मशक्कत से इसे फिर बनवाना पड़ता है। लेकिन बरार किसानों की जरूरत को समझते हुए इस कच्चे बांध को जनसहयोग से पिछले आठ सालों से तकरीबन हर साल ही बनवाते आ रहे हैं। 85 साल के बरार इन तमाम बाधाओं को भी किसानों के चेहरों पर एक अदद भोली-निश्छल मुस्कान लाने के लिए हंसते-हंसते सह रहे हैं।
किसानों ने रोक दी नदी की धार
किसानों ने मंगलवार को जनसहयोग से जेसीबी, ट्रैक्टर ट्रालियों से मिट्टी और पताई, घास-फूस-कबाड़ आदि डालकर खमरिया घाट पर पश्चिमी बहगुल नदी की मुख्य धार को रोक दिया। बांध की ऊँचाई बढ़ाने के लिए मिट्टी डालने का काम अभी तीन-चार दिन तक और चलेगा। इस बार नदी में पानी ज्यादा नहीं है लिहाजा बांध से नहरों-गूलों में होते हुए खेतों तक पानी पहुंचने में अभी 8-10 दिन का वक्त लग सकता है। बांध बनवाने के भगीरथ कार्य में सहयोगी सभी किसानों और अधिकारियों का श्री बरार ने आभार जताते हुए बताया है कि उनकी कोशिश खमरिया घाट पर सरकार द्वारा पक्का बांध बनवाने की है।
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सिंचाई विभाग द्वारा पक्के बांध का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा भी जा चुका है। उम्मीद है कि योगी सरकार पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार और क्षेत्रीय विधायक डाॅ. डीसी वर्मा की पैरवियों को गंभीरता से लेकर तीन तहसीलों के लगभग 165 गांवों के किसानों का आर्थिक स्तर सुधारने के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए वर्षों से विचाराधीन बांध निर्माण के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को शासन की मंजूरी जरूर देगी और बजट अवमुक्त करते हुए जल्द बांध निर्माण कार्य शुरू भी करवाएगी।