बरेली। आंखें सलामत हैं तो सारा जहान खूबसूरत लगता है, बिना आंखों के दुनिया जहान वीरान है। जो अधिवक्ता अपनी कलम से हजारों लोगों को न्याय दिला चुका हो आज वही अफसरों से न्याय की उम्मीद में छटपटा रहा है। शिकायत के 20 दिन बाद भी जिम्मेदार उसे यह बताने को तैयार नहीं है कि जांच किन बिन्दुओं पर की गई और उसके जीवन में अंधेरा लाने वाले डॉ वासु के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई। जिला आयुर्वेदिक अधिकारी जांच रिपोर्ट से संबंधित जानकारी देने से ही कतरा रहे हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि डॉ वासु जीवन में अंधेरा लाए, तो अफसर न उम्मीद।
डॉ वासु पर कार्रवाई और मुआवजा की मांग की
मुजफ्फरनगर के अधिवक्ता राजीव कुमार गुप्ता का आरोप है कि बरेली के डॉ वासु आई हास्पिटल में इलाज के बाद उनकी आंख की रोशनी चली गई। अधिवक्ता ने 20 दिन पहले मुख्यमंत्री समेत कई अफसरों से मामले की शिकायत की थी। आरोप है कि डॉ महेंद्र सिंह वासु ने उन्हें ग्लूकोमा नाम की बीमारी बताकर इलाज शुरू किया। लेकिन उनकी आंख की रोशनी बढ़ने की जगह धीरे-धीरे कमजोर होने लगी। वह ठीक से देख ही नहीं पा रहे हैं। आंख की रोशनी जाने की वजह से अब उन्हें काम करने में परेशानी हो रही है। राजीव गुप्ता का कहना है कि वह आँखों में रोशनी की तलाश में बरेली इलाज कराने आये लेकिन डॉ वासु उनके जीवन में अंधेरा ले आये। उन्होंने डॉ महेंद्र सिंह वासु से मुआवजा और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए मुख्यमंत्री को शिकायतीपत्र भेजा था। अधिवक्ता राजीव गुप्ता की शिकायत के बाद क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी ने जांच कमेटी बनाकर जांच शुरू करा दी। कमेटी ने जांच कर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी को रिपोर्ट भी भेज दी। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी जांच को गोपनीय बताकर जिम्मेदारी से बचते नजर आ रहे हैं।
जांच पर उठ रहे सवाल
शिकायत के बाद जब किसी मामले की जांच की जाती है तो वादी और प्रतिवादी दोनों के बयान और साक्ष्य लिए जाते हैं। लेकिन डॉ महेंद्र सिंह वासु की शिकायत प्रकरण में जांच अधिकारियों ने शिकायतकर्ता से संपर्क करना ही उचित नहीं समझा। शिकायतकर्ता राजीव गुप्ता ने बताया कि उनसे किसी जांच अधिकारी ने कोई संपर्क नहीं किया है और न मामले से संबंधित कोई अभिलेख तलब किए हैं। उधर क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी भी इस प्रकरण को दवाने में जीजान से जुटे हैं। मीडिया के पूछने पर उन्होंने कहा कि गोपनीय जांच रिपोर्ट आई है इसे शासन को भेज दिया गया है।
कमेटी ने जांच कर गोपनीय रिपोर्ट दी है इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। – डा. अमरदीप सिंह नायक, जिला आयुर्वेदिक अधिकारी