" लोकतंत्र टुडे "

पोल खुलने से घबराए सेतु निगम के अफसर, बचने को अपना रहे हथकंडे

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Sanjeev Sharma

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बरेली। भ्रष्टाचार की बुनियाद और रेत के ढेर पर सड़क बिछाने में माहिर सेतु निगम के अफसरों का काला चिठ्ठा शासन तक पहुंच गया है। शासन ने मीडिया की खबरों का संज्ञान लेकर जांच शुरू करा दी है। जिससे सेतु निगम के अफसर बेचैन हो गये हैं, रात की नींद और दिन का सुकून छिन गया है। हाल ही में सेतु निगम के अफसरों का एक नया कारनामा उजागर हुआ है।

अब सेतु निगम के अफसर अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना, अपने ही बुने जाल में फंसते नजर आ रहे हैं।संस्थान ने माह जून 2022 और 2023 में सेतु निगम का काला चिट्ठा प्रकाशित किया था। सेतु निगम के अधिकारी दशकों से एक ही जगह जमे हैं।

अफसर और कर्मचारी अपनी सेतु निगम में गाड़ियां ठेके पर चला रहे हैं। एक पुल भी मानक के विपरीत बना था उसके साथ ही भुगतान में गड़बड़ी की बात सामने आई थी। मीडिया के माध्यम से मामला शासन के संज्ञान में पहुंचा। जिसके बाद दशकों से एक ही जगह जमे अधिकारियों ने अपनी यूनिट बरेली की जगह शाहजहांपुर शिफ्ट करा दी, जिसको ट्रांसफर का नाम दिया गया। जगह बदल गई लेकिन अफसर कर्मचारी सब वही रहे।

सेतु निगम में एक जेई पर जोकि बरेली और मुरादाबाद मंडल के करीब 15 पुलों का एक समय मे चार्ज था। खबर छपने के बाद सेतु निगम के अधिकारियों ने संस्थान को धमकी भर लहजे में लीगल नोटिस भेज दिया कि भविष्य में उनकी गड़बड़ घोटाले की खबरें न छापी जाए यदि छापी गई तो संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

सेतु निगम के अधिकारी एक तरफ सत्ताधारी नेताओं के चक्कर काट कर अपनी पैरवी करा रहे हैं वही दूसरी तरफ नोटिस के नाम पर लोकतंत्र के चैथे स्तंभ को धमकाने में लगे हैं, सत्ताधारी नेता सेतु निगम के एक अफसर का सजातीय बंधु है। यही नहीं सेतु निगम का अफसर प्रदेश सरकार में एक मंत्री को अपना रिश्तेदार बताता है

अफसर ने पढ़ाया नोटिस का पाठ

सेतु निगम से जुड़े सूत्रों की माने तो निगम के एक बड़े अफसर ने सेतु निगम की शाहजहांपुर यूनिट के अधिकारियों से कहा कि अगर संस्थान खबरों का प्रकाशन नहीं रोकती है तो दबाव में लेने के लिए संस्थान को एक नोटिस भेजें। जिसके बाद वह उनके खिलाफ चल रही जांच को रफादफा कराने का प्रयास करेंगे। हालांकि सेतु निगम के अफसर अपने बुने जाल में खुद ही फंसते जा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि लोकतन्त्र के चैथे स्तंभ को भेजे गये नोटिस की भाषा ही निगम के अफसरों के गले की फांस बन सकती है।

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Author: Sanjeev Sharma

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