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पॉवर कॉरपोरेशन के कमाऊ बाबुओं पर मेहरबान अफ़सर

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Sanjeev Sharma

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बरेली। पावर कारपोरेशन में पैंतरेवाज बाबू राजीव कश्यप की शिकायत के बाद कई अन्य बाबूओं के इसी तरह के मामले सामने आने लगे हैं। मुख्य अभियंता कार्यालय में राजीव कश्यप तो रोहित सक्सेना अधीक्षण अभियंता ग्रामीण के कार्यालय में लंबे समय से तैनात है। जब बड़े अफसरों के यहां दशकों से बाबू मौज ले रहे हैं, तो नीचे के अफसरों के बाबुओं पर कार्रवाई कौन करेगा।

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सरकार भले ही अफसरों को नियम और कानून के दायरे में रहकर काम करने की नसीहत दे रही है। लेकिन पावर कॉरपोरेशन के अफसर वही काम कर रहे हैं जिसमें उन्हें लाभ नजर आ रहा है। शिकायतों के बाद भी अफसर नियमों को दरकिनार कर अवैध कमाई के लिए अपने चाहते बाबुओं को छोड़ने को किसी कीमत पर तैयार नहीं हैं। विभाग में दशकों से एक ही सीट पर जमें बाबुओं की कलई एक के बाद एक खुलनी शुरू हो गई हैं।

पावर कॉरपोरेशन में मलाई चाटने के लिए अफसर अपने चाहते बाबूओं को छोड़ने को तैयार नहीं है। बताया जाता है की रोहित सक्सेना की पोस्टिंग अधिशासी अभियंता टेक्स्ट डिवीजन में है। लेकिन वह काम अधीक्षण अभियंता के यहां करते हैं। विभागीय अधिकारी उन्हें हटाने की जगह उनकी काबिलियत का रोना रो देते हैं और काम की दुहाई देकर अपने कार्यालय से हटाने को तैयार नहीं हैं। जानकारों की माने तो रोहित अफसरों की जेब भरने के लिए सबसे मुफीद कर्मचारी हैं। इसलिए अधिकारी एक दशक बीत जाने के बाद भी उसे छोड़ने को तैयार नहीं हैं।

हालांकि कागजों में पोस्टिग दूसरी जगह जरूर दिखा दी है, लेकिन काम पहले वाली सीट पर ले रहे हैं। अब मुख्य अभियंता कार्यालय में तैनात बाबू राजीव कश्यप का मामला तूल पकड़ने लगा है। शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर राजीव कश्यप की संपत्ति की जांच करने की मांग की है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि राजीव कश्यप पिछले करीब एक दशक से अधिक समय से चीफ इंजीनियर के कार्यालय में तैनात है और अफसर के साथ मिलकर बड़े कनेक्शनों में जमकर खेल-खेल कर रहे हैं। 

अफसरों का संरक्षण होने की वजह से शिकायत को कागजों में दफन कर दिया जाता है। लेकिन शिकायतकर्ता की आपत्ति के बाद दोबारा जांच शुरू हुई तो विभाग में खलबली मच गई। आलम यह हुआ कि शिकायतकर्ता को दबाव में लेने के लिए व्यापार मंडल के एक बड़े पदाधिकारी को बीच में कूदना पड़ा। जब व्यापार मंडल के पदाधिकारी से बात नहीं बनी तो एक जनप्रतिनिधि का नाम लेकर भी शिकायतकर्ता पर दबाव बनाकर राजीव कश्यप को बचाने का प्रयास किया जाने लगा। 

ऐसे में सवाल उठता है कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां समय पर पटल परिवर्तन के लिए एक व्यवस्था निश्चित की है ऐसे में उन्हीं के दल के जनप्रतिनिधियों के नाम पर लोग कर्मचारियों को दशकों तक एक ही सीट पर रुकवाने की तिगड़म भिड़ा रहे हैं। रोहित सक्सेना के बारे में तो कहा जाता है कि टेंडर में चल रही गड़बड़ियों के लिए के मास्टरमाइंड के रूप में रोहित सक्सेना का नाम पावर कारपोरेशन में जाना जाता है। बीते दिनों के अफसर के पोल खोलने पर पॉवर कॉर्पोरेशन में बाबू को अफसरों ने निपटा दिया और कमाई में लगे अफसर को अभयदान दे दिया।

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Author: Sanjeev Sharma

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